देश की खबरें | पुणे कार दुर्घटना मामले में किशोर का दादा गिरफ्तार,

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पुणे, 25 मई पुणे पुलिस ने यहां कार दुर्घटना में दो लोगों की मौत के मामले में आरोपी 17 वर्षीय किशोर के दादा को गिरफ्तार कर लिया और दावा किया कि किशोर के पिता और दादा ने दुर्घटना की जिम्मेदारी अपने सिर लेने के लिए परिवार के वाहन चालक को पैसों का लालच दिया और धमकी दी।

पुलिस के अनुसार वाहन चालक को ‘अवैध रूप से कैद रखने’ के लिए किशोर के दादा को गिरफ्तार किया गया और फिर एक अदालत ने उसे 28 मई तक की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

पुलिस ने कहा कि 19 मई की दुर्घटना के संबंध में दर्ज एक अन्य मामले में न्यायिक हिरासत में भेजे गए नाबालिग के पिता भी प्राथमिकी में नामजद है।

पुलिस आयुक्त अमितेश कुमार ने पत्रकारों से कहा “दुर्घटना के बाद वाहन चालक ने थाने में बयान दिया कि वह हादसे के समय कार चला रहा था। लेकिन पता चला है कि किशोर कार चला रहा था।”

कुमार ने कहा कि ड्राइवर के यरवडा थाने से जाने के बाद रास्ते में किशोर के पिता विशाल अग्रवाल और दादा उसे अपने बंगले पर ले गए और उसका मोबाइल फोन लेकर वहीं कैद कर लिया।

अधिकारी ने कहा, “ड्राइवर पर उनके निर्देशों के अनुसार पुलिस को बयान देने का दबाव डाला गया।”

उन्होंने कहा कि ड्राइवर को किशोर द्वारा चलाई गई पोर्शे से हुई दुर्घटना की जिम्मेदारी लेने के लिए उपहार और नकदी की पेशकश की गई, और धमकी भी दी गई।

पुलिस प्रमुख ने कहा कि अगले दिन ड्राइवर की पत्नी ने वहां पहुंचकर उसे छुड़ाया।

कुमार ने कहा, “ड्राइवर डर गया। उसे तलब कर बृहस्पतिवार (23 मई) को बयान दर्ज किया गया। तथ्यों की पुष्टि के बाद किशोर के पिता और दादा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।”

विशाल अग्रवाल और उनके पिता के खिलाप भारतीय दंड संहिता की धारा 365 (अपहरण) और 368 (गलत तरीके से छिपाना या कैद में रखना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

आयुक्त ने कहा कि ड्राइवर ने पुलिस को बयान दिया कि वह वो कार नहीं चला रहा था, जिसने 19 मई की सुबह शहर के कल्याणी नगर इलाके में मोटरसाइकिल पर सवार दो आईटी पेशेवरों को कुचल दिया था।

कुमार ने कहा कि वाहन चालक और उसके परिवार को पुलिस सुरक्षा प्रदान की जाएगी।

शनिवार को सत्र अदालत में किशोर के दादा की हिरासत का अनुरोध करते हुए अभियोजन पक्ष ने कहा कि पुलिस ने आरोपी के घर से सीसीटीवी फुटेज का डीवीआर (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) बरामद किया है और जांच से संकेत मिला है कि फुटेज के साथ छेड़छाड़ की गई।

अदालत को दादा के खिलाफ कोंढवा, पुणे के बंडगार्डन और महाराष्ट्र के महाबलेश्वर में थानों में दर्ज पिछले अपराधों के बारे में भी बताया गया।

पुलिस हिरासत का विरोध करते हुए, बचाव पक्ष के वकील प्रशांत पाटिल ने कहा कि दुर्घटना के समय ड्राइवर कार में था। उन्होंने इस आरोप से इनकार किया कि उसे गलत तरीके से घर में कैद किया गया था।

पाटिल ने दावा किया, "चूंकि घटना को लेकर आक्रोश था, ड्राइवर ने खुद ही आरोपी के बंगले में कर्मचारियों के क्वार्टर में जाने का फैसला किया और अगले दिन तक वहीं रुका। ड्राइवर को धमकी दिए जाने का कोई सवाल ही नहीं है।"

उन्होंने दावा किया कि आरोपी दादा 19 मई की सुबह पुणे पहुंचने के बाद से पुलिस के साथ थे।

शुक्रवार को, यरवडा थाने से जुड़े एक निरीक्षक और एक अन्य अधिकारी को अपराध की देरी से सूचना देने और लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था।

इससे पहले किशोर न्याय बोर्ड ने किशोर को जमानत देते हुए सड़क दुर्घटनाओं पर एक निबंध लिखने के लिए कहा था। लेकिन पुलिस के नरम रुख को लेकर नाराजगी और समीक्षा याचिका दायर किए जाने के बाद उसे पांच जून तक एक सुधार गृह में भेज दिया गया था।

दुर्घटना में मारे गए मध्य प्रदेश के 24 वर्षीय प्रौद्योगिकी विशेषज्ञ अनीश अवधिया और अश्विनी कोष्टा के माता-पिता ने मामले की उच्चतम न्यायालय की निगरानी में जांच कराने की मांग की है।

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