जरुरी जानकारी | लक्षित राजकोषीय राहत, तेजी से टीकाकरण के कारण अर्थव्यवस्था में सुधार: वित्त मंत्रालय

नयी दिल्ली, नौ जुलाई वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि लक्षित राजकोषीय राहत, मौद्रिक नीति और तेजी से टीकाकरण अभियान के चलते अर्थव्यवस्था ने कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के प्रकोप से उबरकर सुधार के संकेत दिखाना शुरू कर दिया है।

वित्त मंत्रालय ने अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा, ‘‘दूसरी लहर के प्रकोप को कम करने के लिए लाए गए व्यापक आर्थिक राहत पैकेज की राशि 6.29 लाख करोड़ रुपये थी। आरबीआई बाजार को सामान्य बनाए रखने, विभिन्न क्षेत्रों में सुधार और वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।’’

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और कोरोना वायरस महामारी तथा लॉकडाउन के वित्तीय प्रभाव को कम करने के लिए पिछले महीने 6.29 लाख करोड़ रुपये के आठ आर्थिक उपायों की घोषणा की, जिनका मकसद आम लोगों के साथ ही व्यवसायों को राहत पहुंचाना था।

इसके अलावा वित्त मंत्री ने पर्यटन क्षेत्र को राहत देने के लिए एक प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा भी की।

रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2020-21 के पहले दो महीनों में केंद्र सरकार का लचीला कर संग्रह और पूंजीगत व्यय की गति लगातार बनी रहने, विशेष रूप से सड़क और रेल क्षेत्र में, के कारण आर्थिक सुधार को समर्थन मिला है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि हाल ही में घोषित आर्थिक राहत पैकेज से पूंजीगत व्यय के चक्र को अधिक गति मिलने की उम्मीद है, जिसमें पीएलआई योजना का कार्यान्वयन और पीपीपी परियोजनाओं तथा संपत्ति मुद्रीकरण शामिल है।

जून की आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना (एएनबीआरवाई) के तहत रोजगार समर्थन में और बढ़ोतरी के साथ ही उपभोग में वृद्धि की उम्मीद है।

रिपोर्ट के मुताबिक मुफ्त खाद्यान्न और बढ़ी हुई उर्वरक सब्सिडी के साथ ही मनरेगा को जारी रखने से आने वाली तिमाहियों में ग्रामीण मांग में भी इजाफा होगा।

आर्थिक समीक्षा में कहा गया है, ‘‘टीकाकरण की तेज गति बनाए रखने और शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने से भारतीय अर्थव्यवस्था में टिकाऊ सुधार लाने में मदद मिलेगी।’’

रिपोर्ट के मुताबिक टीकाकरण के विस्तार और कोविड संबंधी दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करके कोविड-19 की किसी तीसरी लहर पर काबू पाया जा सकता है।

खाद्य पदार्थों की महंगाई के बारे में रिपोर्ट में कहा गया कि अच्छे मानसून, खरीफ बुवाई में वृद्धि और राज्यों द्वारा प्रतिबंधों में छूट देने से मुद्रास्फीति नरम पड़ेगी।

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