देश की खबरें | डीईआरसी के नामित अध्यक्ष का शपथ ग्रहण समारोह फिलहाल स्थगित किया जाता है: न्यायालय

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के नामित अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह मंगलवार को स्थगित कर दिया और उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र तथा उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी किया।

नयी दिल्ली, तीन जुलाई उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के नामित अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार का शपथ ग्रहण समारोह मंगलवार को स्थगित कर दिया और उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली दिल्ली सरकार की याचिका पर केंद्र तथा उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस जारी किया।

प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिम्हा की पीठ ने कहा, ‘‘ डीईआरसी के अध्यक्ष के रूप में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार को शपथ दिलाने के कार्यक्रम को फिलहाल स्थगित किया जाता है।’’

शीर्ष अदालत ने उस याचिका पर केंद्र तथा उपराज्यपाल कार्यालय को नोटिस भी जारी किया, जिसमें न्यायमूर्ति कुमार को डीईआरसी (दिल्ली विद्युत नियामक आयोग) के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना को भी चुनौती दी गई है।

अदालत ने मामले पर सुनवाई के लिए 11 जुलाई की तारीख मुकर्रर की और केंद्र तथा अन्य से सुनवाई से एक दिन पहले अपने जवाब दाखिल करने को कहा।

उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के नामित अध्यक्ष न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) उमेश कुमार को मंगलवार सुबह 10 बजे तक शपथ दिलाने का निर्देश देने के बावजूद उन्हें शपथ नहीं दिलाई गई।

दिल्ली की बिजली मंत्री आतिशी कुमार को पद की शपथ दिलाने वाली थीं, लेकिन अचानक उन्हें कुछ ‘‘स्वास्थ्य संबंधी’’ समस्याएं होने के कारण कार्यक्रम छह जुलाई तक के लिए टाल दिया गया।

कुमार को 21 जून को दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने उनकी नियुक्ति को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।

सेवा पर नियंत्रण से जुड़े केंद्र के अध्यादेश के बाद डीईआरसी अध्यक्ष की नियुक्ति दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल सक्सेना के बीच हालिया टकराव का कारण बनी है। ‘आप’ ने इस अध्यादेश को भी शीर्ष अदालत में चुनौती दी है।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)

Share Now

\