नयी दिल्ली, 26 जुलाई महंगाई एवं कुछ आवश्यक पदार्थों पर माल और सेवा कर (जीएसटी) लगाए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे की वजह से मंगलवार को राज्यसभा की कार्यवाही बार-बार बाधित हुई तथा हंगामे के कारण विपक्ष के 19 सदस्यों को वर्तमान सप्ताह के शेष समय के लिए सदन से निलंबित कर दिया गया।
दोपहर दो बजे के बाद जब सदन की बैठक शुरू हुई तो उपसभापति हरिवंश ने सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलाप का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक पर अधूरी चर्चा को फिर से आगे बढ़ाने के लिए मनोनीत सदस्य राकेश सिन्हा को बुलाया। राकेश सिन्हा ने जब अपनी बात शुरू की, उसी दौरान तृणमूल कांग्रेस सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्य विरोध जताते हुए आसन के समक्ष आ गये और नारेबाजी करने लगे।
उपसभापति ने उनसे नारेबाजी करने और पोस्टर दिखाने से मना किया और अपने स्थानों पर व़ापस चले जाने का अनुरोध किया। उनके अनुरोध का कोई असर होते न देख उन्होंने विपक्षी सदस्यों को आगाह किया कि यदि वे अपना यही व्यवहार जारी रखते हैं तो उन्हें इन सदस्यों का नाम लेने के लिए विवश होना पड़ेगा।
इसके बाद उपसभापति ने संसदीय कार्य राज्य मंत्री वी मुरलीधरन को एक प्रस्ताव पढ़ने की अनुमति दी जिसमें कहा गया था कि सदन कुछ सदस्यों के कदाचार को बहुत ही गंभीरता से लेता है। उन्होंने कहा कि इन सदस्यों..मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, शांता छेत्री, अबीर रंजन विश्वास, डॉ. शांतनु सेन, मौसम नूर, सुष्मिता देव, एम मोहम्मद अब्दुला, कनिमोई एम सोमू, एम षड्मुगम, एस कल्याण सुंदरम, आर गिरिराजन, एन आर एलानगो, बी एल यादव, रविचंद्रन वद्दीराजु, दामोदर राव दिवाकोंडा, वी शिवदासन, ए रहीम तथा सतोष कुमार ने सदन और आसन की गरिमा के प्रति असम्मान का भाव जताया है।
उन्होंने कहा कि नियम 256 के तहत इन सदस्यों को वर्तमान सप्ताह के शेष समय के लिए सदन से निलंबित करने का प्रस्ताव किया जाता है।
उपसभापति ने इस प्रस्ताव पर सदन की सम्मति मांगी और सदन ने ध्वनिमत से इसे पारित कर दिया। इस प्रस्ताव पर मतदान करने की विपक्ष की मांग हरिवंश ने यह कहकर खारिज कर दी कि जब तक नारेबाजी कर रहे सदस्य वापस अपने स्थान पर नहीं जाते, वह मतदान की अनुमति नहीं दे सकते।
सदन में हंगामा थमते न देख उन्होंने सदन की बैठक 15 मिनट के लिए फिर स्थगित कर दी।
सदन की बैठक पंद्रह मिनट बाद फिर शुरू होने पर पीठासीन उपाध्यक्ष भुवनेश्वर कालिता ने निलंबित सदस्यों को सदन से बाहर जाने को कहा। किंतु जब वे सदस्य सदन से बाहर नहीं गये तो उन्होंने बैठक को एक घंटे के लिए स्थगित कर दिया।
उसके बाद बैठक शुरू होने पर भी सदन में वही नजारा दिखा और बैठक अंतत: दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।
सदन से निलंबित किए गए सदस्यों में सात तृणमूल कांग्रेस के हैं जबकि छह सदस्य द्रमुक के, तीन तेलंगाना राष्ट्र समिति के, दो मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पाटी के और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के एक सदस्य हैं।
इससे पहले हंगामे के कारण आज भी उच्च सदन में शून्यकाल नहीं हो पाया। सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के बीच ही उपसभापति हरिवंश ने प्रश्नकाल चलाया। हालांकि इस दौरान भी कार्यवाही 15 मिनट के लिए बाधित हुई। प्रश्नकाल समाप्त होते ही उन्होंने सदन की कार्यवाही दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
इससे पहले, पूर्वाह्न 11 बजे सदन की बैठक शुरू होने के दस मिनट के भीतर ही कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई थी।
सदन की कार्यवाही आरंभ होते ही सभापति एम वेंकैया नायडू ने करगिल विजय दिवस के अवसर पर शहीदों को श्रद्धांजलि दी और उसके बाद आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
उन्होंने सदन को बताया कि कई सदस्यों ने विभिन्न मुद्दों पर नियम 267 के तहत नियत कामकाज स्थगित कर तत्काल चर्चा कराने के लिए नोटिस दिए हैं लेकिन उन्होंने सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया है।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा आरंभ कर दिया। सभापति ने सदस्यों से कार्यवाही चलने देने की अपील की। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से कहा ‘‘क्या आप कुछ भी नहीं सुनना चाहते...?’’
हंगामे के कारण नायडू ने सदन की कार्यवाही 11 बज कर छह मिनट पर ही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
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