देश की खबरें | उच्चतम न्यायालय ने अदालतों से विवाद के सभी मुद्दों पर फैसला करने को कहा

नयी दिल्ली, 22 मार्च उच्चतम न्यायालय ने अदालतों को मामलों का फैसला करने में ‘शार्टकट’ (संक्षिप्त रास्ता) अपनाने के खिलाफ आगाह किया और उन्हें सभी मुद्दों पर निष्कर्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा क्योंकि कुछ सवालों को अनिर्णीत छोड़ देने से अपीलीय अदालतों पर बोझ बढ़ता है और उनपर फिर से फैसला करने की जरूरत पड़ती है।

कृषि उपज विपणन समिति (एपीएमसी), बेंगलुरु द्वारा दायर अपील पर शीर्ष अदालत के फैसले में महत्वपूर्ण टिप्पणियां आईं। इन अपीलों में कर्नाटक उच्च न्यायालय की एकल और खंडपीठ के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें भूमि अधिग्रहण की कार्यवाही को एक मामले में रद्द किया गया था।

न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने इंदौर विकास प्राधिकरण के मामले में संविधान पीठ के फैसले पर भरोसा किया और उच्च न्यायालय के फैसलों को नहीं टिकने लायक करार दिया।

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें यह कहा गया था कि एपीएमसी द्वारा जमनलाल बजाज सेवा ट्रस्ट के स्वामित्व वाली 172 एकड़ 22 गुंठा भूमि का अधिग्रहण 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत समाप्त हो गया।

न्यायालय ने कहा,‘‘अदालतों को सभी मुद्दों पर फैसला सुनाना चाहिए और सभी मुद्दों पर अपने निष्कर्ष देने चाहिए और केवल एक मुद्दे पर फैसला नहीं सुनाना चाहिए। ऐसे में न्यायालयों का यह कर्तव्य है कि वे ‘शॉर्टकट’ तरीका अपनाते हुए केवल एक मुद्दे पर फैसला सुनाने के बजाय सभी मुद्दों पर फैसला सुनाएं।’’

न्यायमूर्ति शाह ने 34 पृष्ठ के अपने फैसले में कहा कि इस तरह के प्रचलन से यह अपीलीय अदालत का बोझ बढ़ा देगा और कई मामलों में यदि निर्णय किए गए मुद्दे पर फैसला गलत पाया जाता है और अन्य मुद्दों पर कोई निर्णय नहीं होता है और अदालत द्वारा कोई निष्कर्ष दर्ज नहीं किया जाता है, तो अपीलीय अदालत के पास मामले में फिर से फैसला देने के लिये भेजने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा।’’

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)