देश की खबरें | पत्रकारों के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करने का सुझाव

नयी दिल्ली, चार जुलाई वरिष्ठ पत्रकारों ने विभिन्न प्राथमिकियों और प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी का सामना कर रहे मीडियाकर्मियों के लिए विभिन्न शहरों में कानूनी सहायता की व्यवस्था करने का सोमवार को सुझाव दिया।

फैक्ट चैकिंग वेबसाइट 'ऑल्ट न्यूज' के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर की गिरफ्तारी, पुलित्जर पुरस्कार से सम्मानित फोटो पत्रकार सना मट्टू को विदेश जाने से रोकने और सरकारी कार्यक्रमों को कवर करने वाले पत्रकारों पर पाबंदियों के मद्देनजर मीडिया के सामने आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में हुई एक बैठक में यह सुझाव रखा गया।

बैठक के दौरान वरिष्ठ पत्रकार टी.एन निनान ने कहा कि बैठकें करना और बयान जारी करना काफी नहीं है बल्कि प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया समेत विभिन्न माध्यमों के लिए एक सुर में आवाज बुलंद करने की जरूरत है।

निनान ने कहा, ''हमें पत्रकारिता की स्वतंत्रता की बुनियाद के मामले में एकमत होना चाहिए।''

उन्होंने कहा कि प्राथमिकियों का सामना कर रहे पत्रकारों के लिए कानूनी सहायता की व्यवस्था करने की आवश्यकता है।

उन्होंने पत्रकारों के खिलाफ दाखिल मामलों के लिए विभिन्न शहरों में वकीलों की एक समिति गठित करने का सुझाव दिया।

बैठक में वरिष्ठ पत्रकारों सिद्धार्थ वरदराजन (द वायर), संदीप सोनकर (वर्किंग न्यूज कैमरामैन एसोसिएशन), शोभना जैन (इंडियन वीमेन प्रेस कोर) और एस.के. पांडे (दिल्ली यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट) ने भी अपने विचार रखे।

बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें कहा गया है, "हाल के दिनों में हमारे कई सहयोगियों के खिलाफ प्राथमिकियां दर्ज किया जाना और मीडिया कार्यालयों में प्रवर्तन निदेशालय की छापेमारी पूरे पेशे के भविष्य के लिए एक खराब संकेत है।''

प्रस्ताव में कहा गया है, "हमारी समझ के आधार पर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक की गिरफ्तारी अतिरंजित और झूठे आरोपों पर आधारित है। दूसरी ओर, जो वास्तव में घृणास्पद भाषण देते हैं, वे स्वतंत्र रूप से घूम रहे हैं।"

प्रस्ताव में लोकसभा की प्रेस गैलरी और संसद के सेंट्रल हॉल में कोविड-19 पाबंदियों को जारी रखने और 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए राजग की ओर से उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू की नामांकन प्रक्रिया के दौरान विजुअल मीडिया पर "पाबंदी" को भी "चिंताजनक" करार दिया गया है।

प्रस्ताव में कहा गया है, "हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि एक मजबूत लोकतंत्र के हित में पहले की तरह सरकारी कार्यक्रमों की कवरेज तक मीडिया की पहुंच बहाल करे। हम यह भी दोहराते हैं कि संविधान सर्वोच्च है और यह सभी पर लागू होता है। कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा निशाना बनाए जाने से पूरी मीडिया पर बुरा प्रभाव पड़ता है।''

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