नई दिल्ली, 13 जुलाई: उच्चतम न्यायालय तिरुवनंतपुरम के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर (Sree Padmanabhaswamy Temple) के प्रबंधन संबंधी विवाद पर आज फैसला सुना सकता है. इसे देश के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है. कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के मद्देनजर ऐतिहासिक मंदिर के प्रशासन और प्रबंधन को लेकर विवाद पिछले नौ साल से शीर्ष अदालत में लंबित है. इस भव्य मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं सदी में इसके मौजूदा स्वरूप में त्रावणकोर शाही परिवार ने कराया था, जिन्होंने 1947 में भारतीय संघ में विलय से पहले दक्षिणी केरल और उससे लगे तमिलनाडु के कुछ भागों पर शासन किया था.
स्वतंत्रता के बाद भी मंदिर का संचालन पूर्ववर्ती राजपरिवार द्वारा नियंत्रित ट्रस्ट करता रहा जिसके कुलदेवता भगवान पद्मनाभ (विष्णु) हैं. न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा की पीठ ने पिछले साल 10 अप्रैल को मामले में केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी, 2011 के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था. उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को मंदिर, उसकी संपत्तियों का प्रबंधन संभालने तथा परिपाटियों के अनुरूप मंदिर का संचालन करने के लिए एक निकाय या ट्रस्ट बनाने के लिहाज से कदम उठाने का निर्देश दिया था.
यह भी पढ़ें: विकास दुबे को लेकर बड़ा खुलासा, महाकाल मंदिर के फूल बेचने वाले माली ने पुलिस को दी सूचना
शीर्ष अदालत ने दो मई, 2011 को मंदिर के प्रबंधन और संपत्तियों पर नियंत्रण से संबंधित उच्च न्यायालय के निर्देश पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने यह निर्देश भी दिया था कि मंदिर के खजाने में मूल्यवान वस्तुओं, आभूषणों का भी विस्तृत विवरण तैयार किया जाएगा. शीर्ष अदालत ने आठ जुलाई, 2011 को कहा था कि मंदिर के तहखाने-बी के खुलने की प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक रहेगी.
जुलाई 2017 में न्यायालय ने कहा था कि वह इन दावों का अध्ययन करेगा कि मंदिर के एक तहखाने में रहस्यमयी ऊर्जा वाला अपार खजाना है.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)