विदेश की खबरें | आपातकाल लगाकर निशाने पर आए श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे

कोलंबो, सात मई सियासी संकट में घिरे श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को विपक्षी दलों के साथ-साथ विदेशी राजदूतों की आलोचना का सामना करना पड़ा है, क्योंकि उन्होंने लगभग एक महीने में दूसरी बार आपातकाल लागू करने की घोषणा की है। आपातकाल लागू होने से सुरक्षाबलों को शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को कुचलने की व्यापक शक्ति हासिल हो गई है।

अभूतपूर्व आर्थिक संकट को लेकर देशभर में बढ़ रहे सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बीच राजपक्षे ने शुक्रवार आधी रात से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी।

आपातकाल की स्थिति पुलिस और सुरक्षाबलों को लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ्तार करने और हिरासत में लेने की व्यापक शक्ति देती है।

श्रीलंका के मानवाधिकार निकाय, अधिवक्ताओं के मुख्य निकाय, विपक्ष और यहां तक ​​​​कि राजनयिक समुदाय के कुछ सदस्यों ने सरकार के इस कदम की आलोचना की है।

श्रीलंकाई मानवाधिकार आयोग ने कहा कि वह आपातकाल की घोषणा को लेकर बहुत चिंतित है।

आयोग ने एक बयान जारी कर कहा, “हम सरकार से जनता को इस घोषणा की वजहें समझाने का आग्रह करते हैं, क्योंकि विरोध काफी हद तक शांतिपूर्ण और कानून के दायरे में रहा है।”

बयान में कहा गया है, “हम उम्मीद करते हैं कि आपातकाल की अवधि में अभिव्यक्ति और सभा की आजादी के अलावा गिरफ्तारी व हिरासत से जुड़े अधिकारों व अन्य मौलिक अधिकारों को प्रभावित या अपमानित नहीं किया जाएगा।”

द बार एसोसिएशन ऑफ श्रीलंका (बीएएसएल) ने एक बयान जारी कर कहा कि वह राष्ट्रपति द्वारा आपातकाल की घोषणा किए जाने को लेकर ‘गंभीर रूप से चिंतित’ है।

बयान के मुताबिक, “जैसा कि दो अप्रैल 2022 को कहा गया था, जब राष्ट्रपति ने थोड़े समय के लिए आपातकाल की घोषणा की थी, बीएएसएल का मानना ​​है कि आपातकाल की घोषणा देश की वर्तमान स्थिति का जवाब नहीं है।”

बीएएसएल ने इस बात पर जोर दिया कि आपातकाल का इस्तेमाल शांतिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों को दबाने या मनमाने ढंग से लोगों की गिरफ्तारी करने अथवा उन्हें हिरासत में लिए जाने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। उसने यह भी कहा कि बदले में विरोध-प्रदर्शन भी हिंसक नहीं होना चाहिए।

मुख्य विपक्षी दल समागी जन बालवेग्या के नेता साजिथ प्रेमदास ने भी इस कदम पर सवाल उठाया और राष्ट्रपति के इस्तीफे की मांग की।

कोलंबो में कनाडा के उच्चायुक्त डेविड मैकिनॉन ने ट्वीट किया, “पिछले कुछ हफ्तों में पूरे श्रीलंका में हुए विरोध-प्रदर्शनों के दौरान नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी का भरपूर इस्तेमाल करने का मौका मिला है और इसका श्रेय लोकतंत्र को जाता है। यह समझ से परे है कि आपातकाल की घोषणा करना क्यों जरूरी है।”

अमेरिकी राजदूत जूली चुंग ने कहा कि वह एक बार फिर आपातकाल की घोषणा किए जाने से चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि शांतिप्रिय नागरिकों की आवाज सुनने की जरूरत है।

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