Srilanka Crisis: प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने प्रदर्शनकारी युवाओं से बातचीत की पेशकश की

कोलंबो, 13 अप्रैल : श्रीलंका में अभूतपूर्व आर्थिक संकट को लेकर विरोध-प्रदर्शनों में बढ़ोतरी के बीच प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे (Mahinda Rajapakse) ने बुधवार को उन आंदोलनकारियों के साथ बातचीत करने की पेशकश की जो सरकार से राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार के सभी सदस्यों के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं. शनिवार को शुरू हुआ विरोध-प्रदर्शन बुधवार को अपने पांचवें दिन में प्रवेश कर गया और इसे “भ्रष्ट राजनीतिक संस्कृति” के पूर्ण परिवर्तन की मांग करते हुए युवाओं द्वारा चौबीसों घंटे चलाया जा रहा है. इन युवाओं का दावा है कि यह संस्कृति द्वीपीय राष्ट्र में 1948 में ब्रिटेन से स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से प्रचलित है. प्रधानमंत्री कार्यालय के एक बयान के अनुसार, राजपक्षे राष्ट्रपति गोटाबाया के सचिवालय के पास स्थित गाले फेस मैदान में डेरा डाले हुए प्रदर्शनकारी युवाओं के साथ चर्चा करने को तैयार हैं.

बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने कहा है कि अगर प्रदर्शनकारी बातचीत के लिए तैयार हैं तो वह उनके प्रतिनिधियों को चर्चा के लिए मिलने का न्योता देंगे. प्रदर्शनकारी युवाओं की मांग है कि राष्ट्रपति गोटबाया और उनके पूरे परिवार - जो सरकार का हिस्सा हैं - को इस्तीफा दे देना चाहिए, जबकि उनकी कथित रूप से गलत तरीके से अर्जित की गई संपत्ति को कर्ज चुकाने के लिए देश में वापस लाया जाना चाहिए. प्रधानमंत्री महिंदा राष्ट्रपति गोटबाया के बड़े भाई हैं. आर्थिक संकट के बीच राष्ट्रपति द्वारा इस महीने की शुरुआत में बर्खास्त किए जाने तक उनके सबसे छोटे भाई बेसिल के पास वित्त विभाग था. सबसे बड़े भाई चमल कृषि मंत्रालय को नियंत्रित करते हैं और उनके एक और रिश्तेदार नमाल खेल मंत्री हैं. सोशल मीडिया पर विरोध अभियान चल रहा है जिसमें युवाओं से ‘गाले फेस’ पर इकट्ठा होने का आग्रह किया जा रहा है. इसके अलावा पूरे द्वीप में लगातार विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और विदेशी मुद्रा संकट से निपटने के लिए सरकार को दोषी ठहराया जा रहा है, जिसके कारण आवश्यक वस्तुओं की भारी कमी हो गई. अपने मंत्रियों को सार्वजनिक असंतोष की प्रतिक्रिया के रूप में इस्तीफा देने के लिए कहने वाले राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे विपक्षी दलों के एकता मंत्रिमंडल में शामिल होने के लिए मनाने में नाकाम रहे. यह भी पढ़ें :

इस बीच, मुख्य विपक्ष ने घोषणा की कि उसके नेता सजित प्रेमदासा ने तीन प्रस्तावों पर हस्ताक्षर किए हैं जो जल्द ही संसद में पेश किए जाएंगे - अविश्वास प्रस्ताव, राष्ट्रपति गोटबाया के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव और 20 संशोधनों को निरस्त करने का प्रस्ताव जिसने 2020 में राष्ट्रपति के रूप में उन्हें पूर्ण शक्ति प्रदान की थी. पूर्व राष्ट्रपति और सत्तारूढ़ सहयोगी श्रीलंका पोदुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) की सदस्य मैत्रीपाला सिरिसेना ने मंगलवार रात संवाददाताओं से कहा कि वे अब सरकार के साथ राजनीतिक वार्ता में शामिल नहीं होंगी. उन्होंने मौजूदा संकट से उबरने के लिये सर्वदलीय अंतरिम सरकार के गठन सहित 11 सूत्रीय योजना का प्रस्ताव रखा था. ब्रिटेन से 1948 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के बाद से श्रीलंका अपने सबसे खराब आर्थिक संकट का सामना कर रहा है. लंबे समय से बिजली कटौती और ईंधन, भोजन और अन्य दैनिक आवश्यक वस्तुओं की कमी को लेकर लोग हफ्तों से विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.