देश की खबरें | उच्च पद पर आसीन लोगों से कुछ तरह के संयम की अपेक्षा की जाती है: उच्चतम न्यायालय

नयी दिल्ली, दो सितंबर उच्चतम न्यायालय ने वर्ष 2015 के 'नकदी के बदले वोट' मामले में सुनवाई भोपाल स्थानांतरित करने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि उच्च पद पर आसीन व्यक्ति से कुछ तरह के संयम की अपेक्षा की जाती है। 'नकदी के बदले वोट' मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी भी एक आरोपी हैं।

शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को मामले की सुनवाई करते हुए कथित दिल्ली आबकारी शुल्क नीति घोटाले से जुड़े मामलों में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के. कविता को उसके द्वारा जमानत दिये जाने को लेकर रेड्डी की टिप्पणियों पर कड़ी नाराजगी व्यक्त की थी।

तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने 30 अगस्त को दावा किया था कि उनकी टिप्पणियों को संदर्भ से परे देखा गया और उन्होंने ‘बिना शर्त खेद’ व्यक्त किया था।

सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में उन्होंने देश की न्यायपालिका के प्रति अपना सम्मान और पूर्ण विश्वास व्यक्त किया था।

यह मामला सोमवार को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

पीठ ने कहा, ‘‘विशेष रूप से, जब कोई उच्च पद पर होता है, तो उससे कुछ तरह के संयम की अपेक्षा की जाती है।’’ उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अदालतों और वकीलों को इसमें घसीटा जाता है।

तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के तत्कालीन सदस्य रेवंत रेड्डी को 31 मई, 2015 को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने विधान परिषद चुनाव में कथित तौर पर तेदेपा उम्मीदवार वेम नरेन्द्र रेड्डी का समर्थन करने के लिए मनोनीत विधायक एल्विस स्टीफेंसन को 50 लाख रुपये की रिश्वत देते हुए पकड़ा था।

एसीबी ने रेवंत रेड्डी के अलावा कुछ अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन सभी को जमानत दे दी गई।

सोमवार को सुनवाई के दौरान, बीआरएस विधायक गुंतकांडला जगदीश रेड्डी और तीन अन्य की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सी ए सुंदरम ने मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग करते हुए कहा कि तेलंगाना के मुख्यमंत्री के पास गृह विभाग भी है और वह भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के प्रभारी हैं।

रेड्डी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि मामले की आधी सुनवाई पूरी हो चुकी है और 25 गवाहों से पूछताछ हो चुकी है।

सुंदरम ने कहा कि उनमें से कोई भी महत्वपूर्ण गवाह नहीं है और जांच अधिकारी से अभी पूछताछ नहीं की गई है।

पीठ ने उत्तरदाताओं से एक अंतरिम आवेदन पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने को कहा और मामले को दो सप्ताह के बाद सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।

कविता को जमानत दिलाने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और बीआरएस के बीच ‘सौदा’ को लेकर रेड्डी के बयान से नाराज शीर्ष अदालत ने 29 अगस्त को कहा था कि इस तरह के बयान लोगों के मन में धारणाएं पैदा कर सकते हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा था कि संस्थानों के प्रति सम्मान दिखाना राजनीतिक दलों का मूल कर्तव्य है।

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