देश की खबरें | प्रमुख फसलों का छोटा हिस्सा पेट भरने में हो रहा इस्तेमाल, गैर खाद्य उद्देश्यों में वृद्धि

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. मिनियापोलिस (अमेरिका), 14 मई (द कन्वरसेशन) लोगों का पेट भरने के अलावा अन्य उपयोगों के लिए दुनिया की कई महत्वपूर्ण फसलों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। इनमें जैव ईंधन बनाना, फसलों को प्रसंस्कृत सामग्री में बदलना जैसे पशुधन भोजन, हाइड्रोजनीकृत तेल और स्टार्च शामिल हैं तथा उन्हें वैश्विक बाजारों में उन देशों को बेचना जो उनके लिए भुगतान कर सकते हैं।

मिनियापोलिस (अमेरिका), 14 मई (द कन्वरसेशन) लोगों का पेट भरने के अलावा अन्य उपयोगों के लिए दुनिया की कई महत्वपूर्ण फसलों को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है। इनमें जैव ईंधन बनाना, फसलों को प्रसंस्कृत सामग्री में बदलना जैसे पशुधन भोजन, हाइड्रोजनीकृत तेल और स्टार्च शामिल हैं तथा उन्हें वैश्विक बाजारों में उन देशों को बेचना जो उनके लिए भुगतान कर सकते हैं।

एक नए प्रकाशित अध्ययन में अनुमान जताया गया है कि 2030 में दुनिया की 10 प्रमुख फसलों का केवल 29 प्रतिशत सीधे उन देशों में भोजन के रूप में उपभोग किया जा सकता है जहां उनका उत्पादन होगा जबकि 1960 के दशक में यह आंकड़ा लगभग 51 प्रतिशत था। यह भी अनुमान लगाया गया है कि इस प्रवृत्ति के कारण दुनिया के एक शीर्ष सतत विकास लक्ष्य प्राप्त करने की संभावना नहीं है जिसके तहत 2030 तक भुखमरी को समाप्त करना है।

वर्ष 2030 में इन फसलों के 16 प्रतिशत हिस्से का उपयोग पशुधन के लिए चारा के रूप में किया जाएगा। इसके साथ ही प्रसंस्करण के लिए भी इनका इस्तेमाल होगा। इससे अंतत: अंडे, मांस और दूध का उत्पादन होता है - ऐसे उत्पाद जो आमतौर पर अल्पपोषित लोगों के बजाय मध्यम और उच्च आय वाले लोगों द्वारा खाए जाते हैं। गरीब देशों में आहार चावल, मक्का, ब्रेड और वनस्पति तेलों जैसे मुख्य खाद्य पदार्थों पर निर्भर करता है।

जिन फसलों का अध्ययन किया गया है उनमें जौ, कसावा, मक्का, पॉम ऑयल, रेपसीड (कैनोला), चावल, ज्वार, सोयाबीन, गन्ना और गेहूं साथ मिलकर 80 प्रतिशत से अधिक कैलोरी देते हैं। अध्ययन से पता चलता है कि 1960 और 2010 के बीच इन फसलों में कैलोरी उत्पादन में 200 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई है।

आज, हालांकि, प्रसंस्करण, निर्यात और औद्योगिक उपयोग के लिए फसलों की पैदावार बढ़ रही है। अनुमान है कि 2030 तक प्रसंस्करण, निर्यात और औद्योगिक उपयोग वाली फसलों के दुनिया भर में कैलोरी का 50 प्रतिशत हिस्सा होने की संभावना है। जब हम पशुओं के चारे के रूप में उपयोग की जाने वाली फसलों की कैलोरी को जोड़ते हैं तो अनुमान कि 2030 तक इन शीर्ष 10 फसलों की कुल कैलोरी का लगभग 70 प्रतिशत भूखे लोगों को खिलाने के अलावा अन्य उपयोगों में चला जाएगा।

गरीबों नहीं अमीरों की सेवा करना

ये महत्वपूर्ण परिवर्तन दिखाते हैं कि कृषि और कृषि व्यवसाय वैश्विक मध्यम वर्ग के विकास के लिए कैसे और कहां प्रतिक्रिया दे रहे हैं। जैसे-जैसे आय बढ़ती है लोग अधिक पशु उत्पादों और सुविधाजनक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की मांग करते हैं। वे अधिक औद्योगिक उत्पादों का भी इस्तेमाल करते हैं जिनमें जैव ईंधन, बायोप्लास्टिक्स और फार्मास्यूटिकल्स जैसे प्लांट आधारित तत्व होते हैं।

अध्ययन में गणना की गई है कि औद्योगिक उपयोग वाली फसलें पहले से ही सीधे भोजन की खपत के लिए दो बार कैलोरी का उत्पादन करती हैं और उनकी उपज 2.5 गुना तेजी से बढ़ रही है। प्रसंस्कृत फसलों से प्रति यूनिट भूमि में प्रोटीन की मात्रा खाद्य फसलों की तुलना में दोगुनी है और खाद्य फसलों की दर से 1.8 गुना बढ़ रही है।

व्यापक लक्ष्य खाद्य-असुरक्षित देशों में अधिक फसलें उगाना चाहिए जो सीधे भोजन के रूप में उपयोग किए जाते हैं और उनकी पैदावार में वृद्धि करना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र का शीर्ष सतत विकास लक्ष्य-गरीबी को समाप्त करना, उन देशों को भी सक्षम बनाएगा जो अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त भोजन का उत्पादन नहीं कर सकते हैं और इसे अन्य आपूर्तिकर्ताओं से आयात कर सकते हैं। दुनिया के कुपोषित लोगों की जरूरतों पर ज्यादा ध्यान दिए बिना भुखमरी मिटाना दूर का लक्ष्य बना रहेगा।

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