देश की खबरें | राजस्थान में बसपा से कांग्रेस में विलय करने वाले छह विधायकों ने उच्चतम न्यायालय का रुख किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. राजस्थान विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले छह विधायकों ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ (राजस्थान) उच्च न्यायालय में लंबित अयोग्यता याचिका को वह खुद अपने पास स्थानांतरित कर ले।

एनडीआरएफ/प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: ANI)

नयी दिल्ली, आठ अगस्त राजस्थान विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर जीतने के बाद कांग्रेस में शामिल होने वाले छह विधायकों ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया है कि पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने को लेकर उनके खिलाफ (राजस्थान) उच्च न्यायालय में लंबित अयोग्यता याचिका को वह खुद अपने पास स्थानांतरित कर ले।

उन्होंने दलील दी है कि संविधान की 10 वीं अनुसूची के तहत अयोग्यता पर सवाल उठाने वाली इसी तरह की याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं। इसलिए, राजस्थान उच्च न्यायालय में उनके खिलाफ दायर याचिका शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरिक की जानी चाहिए।

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बहुजन समाज पार्टी (बसपा) विधायकों ने अपनी याचिका में कहा कि यह न्याय के हित में होगा कि यह विषय शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए और वहां दायर इसी तरह की याचिकाओं के साथ उसकी भी सुनवाई की जाए।

राजस्थान उच्च न्यायलय में दो याचिकाएं दायर की गई हैं, एक याचिका भाजपा विधायक मदन दिलावर ने दायर की है, जबकि दूसरी याचिका बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश मिश्रा ने दायर की है।

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दिलावर ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय को चुनौती देते हुए विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी के उस आदेश पर सवाल उठाया है जिसके तहत उन्होंने उनका (दिलावर का) पक्ष सुने बगैर उनकी शिकायत खारिज कर दी।

मिश्रा ने विधायकों के दल बदल को चुनौती दी है लेकिन उन्होंने इस याचिका को उच्चतम न्यायालय स्थानांतरित किये जाने की मांग नहीं की है।

विधायकों ने शीर्ष न्यायालय से कहा है कि विधानसभा अध्यक्ष के फैसले से नाखुश दिलावर ने इस आधार पर रिट याचिका दायर की है कि बसपा का कांग्रेस में विलय नहीं हुआ है और इस तरह 10 वीं अनुसूची के तहत यह अपवाद का विषय नहीं हो सकता।

बसपा विधायकों ने शीर्ष न्यायालय में अपनी याचिका में कहा है कि दिलावर और अन्य प्रतिवादियों ने यह सवाल उठाया है कि इस तरह की याचिकाएं पहले से उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं।

याचिका में कहा गया है, ‘‘इस बात का जिक्र करना भी महत्वपूर्ण है कि 10 वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ का दायरा और अभिप्राय के संबंध में कानून को स्पष्ट करने की जरूरत है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि संविधान की व्याख्या के संबंध में विरोधाभासी फैसले नहीं हैं।’’

इसमें कहा गया है, ‘‘मौजूदा मामले में (राज्य में) बसपा का समूचा विधायक दल कांग्रेस विधायक दल में विलय कर गया और इसलिए 10 वीं अनुसूची के चौथे पैराग्राफ में निर्धारित प्रावधान अयोग्यता का मार्ग प्रशस्त नहीं करता है।’’

उच्च न्यायालय ने बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने को चुनौती दने वाली याचिकाओं पर 30 जुलाई को विधानसभा अध्यक्ष और इसके सचिव का जवाब मांगा था।

संदीप यादव, वाजिब अली, दीपचंद खेरिया, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना और राजेंद्र गुढ़ ने 2018 का विधानसभा चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा था लेकिन बाद में वे दल बदल कर सितंबर 2019 में कांग्रेस में शामिल हो गये। उन्होंने कांग्रेस में विलय के लिये एक अर्जी भी दी और स्पीकर ने उनके कांग्रेस में शामिल होने को दो दिन बाद अनुमति दे दी।

इस विलय से राज्य में अशोक गहलोत नीत सरकार को मजबूती मिली और 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की संख्या बढ़ कर 107 हो गई।

इस बीच, सचिन पायलट और 18 अन्य विधायकों के बगावत करने के बाद राज्य में जारी राजनीतिक संकट शुरू हो जाने के बाद यह घटनाक्रम हुआ है।

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