नयी दिल्ली, 15 अक्टूबर उच्चतम न्यायालय ने मप्र के सिंगरौली और उप्र के सोनभद्र जिलों में प्रदूषण की गंभीर स्थिति से निबटने के लिये राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश पर उद्योगों तथा संबंधित प्राधिकारियों द्वारा अमल किए जाने की मांग करने वाली याचिका पर बृहस्पतिवार को केन्द्र को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति आर एफ नरिमन, न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की पीठ ने इस मामले में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय , केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य से जवाब मांगा है।
शीर्ष अदालत अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस याचिका में दावा किया गया है कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण के छह दिसंबर 2017 के आदेश के बावजूद उद्योगों और संबंधित प्राधिकारियों ने पर्यावरण में सुधार के लिये कोई कदम नहीं उठाया है और इस वजह से स्थानीय लोग परेशान हो रहे हैं।
याचिका पर सुनवाई के दौरान अधिवक्ता अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि हरित अधिकरण ने याचिकाकर्ता को इस मुद्दे पर निगरानी समिति के पास जाने के लिए कहते हुए याचिका खारिज कर दी।
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याचिका में कहा गया है कि हरित अधिकरण के आदेशों का प्राधिकारियों और प्रदूषण फैलाने वाली औद्योगिक इकाईयों ने पालन नहीं किया है।
याचिका के अनुसार, सिंगरौली क्षेत्र देश का बुरी तरह प्रदूषित क्षेत्र है और वहां 359 औद्योगिक इकाईयां हैं। इनमें से 259 इकाईयां उत्तर प्रदेश में और 80 इकाईयां मप्र में स्थित हैं।
इस क्षेत्र में 10 थर्मल पावर संयंत्र, दो अल्यूमिनियम संयंत्र, 10 कोयला खदानें, आयरन उद्योग, केमिकल उद्योग, कार्बन संयंत्र और 500 से ज्यादा स्टोन क्रशर हैं।
अधिकरण ने 2015 में सिंगरौली इलाके में औद्योगिक विकास के संभावित खतरे की निगरानी के लिये एक समिति और पांच उप समितियां गठित की थी।
अनूप
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