देश की खबरें | सिलक्यारा सुरंग हादसा: मलबे से ऑगर ब्लेड हटाने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर लाया गया

उत्तरकाशी, 26 नवंबर उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में पिछले 14 दिन से फंसे 41 श्रमिकों को निकालने के लिए जारी बचाव अभियान में अब तक इस्तेमाल की गई ऑगर मशीन के मलबे में फंसे हिस्सों को काटकर हटाने के लिए हैदराबाद से हवाई मार्ग के जरिए एक प्लाज्मा मशीन को लाया गया है।

बचाव कार्य को आगे बढ़ाने के लिए मशीन को पूरी तरह से हटाना आवश्यक है। श्रमिकों को बाहर निकालने का मार्ग तैयार करने के लिए मलबे में हाथ से ड्रिलिंग के जरिए पाइप डालने होंगे।

इसके अलावा लंबवत ड्रिलिंग के लिए पहाड़ी की चोटी पर सुरंग के ऊपर एक ड्रिल मशीन भेजी गई है।

भारतीय सेना की ‘कोर ऑफ इंजीनियर्स’ के समूह ‘मद्रास सैपर्स’ की एक इकाई बचाव कार्यों में सहायता के लिए रविवार को घटनास्थल पहुंची।

अंतरराष्ट्रीय सुरंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने कहा कि अब तक की प्रगति शानदार है। उन्होंने कहा कि प्लाज्मा कटर ने मलबे में फंसे ऑगर के हिस्सों को निकालने की रफ्तार बढ़ा दी है।

ऑगर जिस जगह फंसा है उसे वहां से पूरी तरह बाहर निकालने के लिए काम चल रहा है।

एक अधिकारी ने बताया कि लंबवत ड्रिलिंग शुरू करने से पहले चट्टानों के दृढ़ीकरण और संरचना को जानने के लिए परीक्षण भी शुरू कर दिये गये हैं।

सिलक्यारा में धंसी निर्माणाधीन सुरंग में ‘ड्रिल’ करने में इस्तेमाल की जा रही ऑगर मशीन के ब्लेड शुक्रवार रात मलबे में फंस गए थे, जिसके बाद अधिकारियों को अन्य विकल्पों पर विचार करना पड़ा जिससे बचाव कार्य में कई दिन या कई सप्ताह और लगने की संभावना है।

बहु-एजेंसियों के बचाव अभियान के 14वें दिन अधिकारियों ने दो विकल्पों पर ध्यान केंद्रित किया - मलबे के शेष 10 या 12 मीटर हिस्से में हाथ से ‘ड्रिलिंग’ या ऊपर की ओर से 86 मीटर नीचे ‘ड्रिलिंग’।

चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था, जिससे इसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। तब से विभिन्न एजेंसियां उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर बचाव अभियान चला रही हैं। श्रमिकों को छह इंच चौड़े पाइप के जरिए खाना, दवाइयां और अन्य जरूरी चीजें भेजी जा रही हैं।

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