नयी दिल्ली, 11 जुलाई कांग्रेस ने अडाणी मामले में भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उच्चतम न्यायालय के समक्ष रखे गए कुछ बिंदुओं का हवाला देते हुए मंगलवार को आरोप लगाया कि इस प्रकरण में सेबी विफल मानी जा रही है।
पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने यह भी कहा कि सेबी की जांच का दायरा सीमित है और इस पूरे विषय से जुड़े राजनीतिक गठजोड़ की सच्चाई संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के माध्यम से ही सामने आ सकती है।
अमेरिकी संस्था ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ की कुछ महीने पहले आई रिपोर्ट में अडाणी समूह पर अनियमितता के आरोप लगाए गए थे, जिसके बाद से कांग्रेस इस कारोबारी पर लगातार हमले करती रही है। अडाणी समूह ने सभी आरोपों को निराधार बताया था।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने अडाणी मामले में सोमवार को उच्चतम न्यायालय के समक्ष कहा था कि 2019 में उसके नियम में किए गए बदलाव से विदेश से प्राप्त कोष के लाभार्थियों की पहचान करना कठिन नहीं है और इसका कोई भी उल्लंघन पाए जाने पर कार्रवाई की जाएगी।
सेबी ने यह भी कहा था कि उसने लाभकारी स्वामित्व और संबंधित-पक्ष लेनदेन से जुड़े नियमों को लगातार कड़ा किया है। यह अडाणी समूह की कंपनियों के शेयर मूल्य में हेराफेरी के आरोपों में एक प्रमुख पहलू है।
रमेश ने मंगलवार को एक बयान में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय की विशेषज्ञ समिति को लेकर कुछ लाभकारी पक्षों ने दावा किया था कि इसने अडाणी समूह को कुछ हद तक "क्लीन चिट" दे दी है। हालांकि, यह दावा पूरी तरह से ग़लत था। उसी समिति ने अडाणी महाघोटाले की पूरी तरह से जांच करने में सेबी की अक्षमता को लेकर गंभीर खुलासा किया था। उसने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि सेबी ने विदेशी कोष के मूल स्वामित्व से संबंधित रिपोर्टिंग की आवश्यकताओं को 2018 में कमज़ोर कर दिया था और 2019 में पूरी तरह से हटा दिया।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘विशेषज्ञ समिति का कहना है कि इस बदलाव ने उसके हाथ इस हद तक बांध दिए कि "प्रतिभूति बाजार नियामक को ग़लत काम का संदेह तो है, लेकिन इसे इससे संबंधित नियमों के विभिन्न शर्तों का अनुपालन भी करना है... यही वह द्वंद्व है, जिसके कारण सेबी को इस मामले में विफल माना जा रहा है।’’
रमेश ने आरोप लगाया, ‘‘सेबी को संदेह है कि अडाणी ग्रुप ने अपारदर्शी विदेशी कोष का उपयोग करके न्यूनतम सार्वजनिक हिस्सेदारी के नियमों का उल्लंघन किया है। इसमें व्यापक रूप से रिपोर्ट किए गए 20,000 करोड़ रुपये का बेनामी धन भी शामिल है। लेकिन वह इसे लेकर कुछ भी करने में विफल रहा है। ये सब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके साथियों के लिए काफी सहज रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम सेबी की 14 अगस्त 2023 को आने वाली रिपोर्ट और अडाणी की कंपनियों में आए 20,000 करोड़ रुपये के अपारदर्शी विदेशी फंड के मूल स्रोत क्या हैं, जैसे सवालों पर स्पष्टता का इंतज़ार कर रहे हैं। लेकिन सेबी की जांच का दायरा सीमित है। केवल जेपीसी ही पूरी तरह से प्रधानमंत्री मोदी के अडाणी समूह के साथ घनिष्ठ संबंधों की जांच कर सकती है।’’
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