मोबाइल फोन के लिए छात्रों की तलाशी लेना उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाता है: केरल बाल अधिकार आयोग
आदेश में कहा गया, ‘‘हालांकि, बच्चों को स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है, लेकिन कुछ विशेष जरूरतों के लिए वे इसे माता-पिता की अनुमति से ले जा सकते हैं. स्कूल के अधिकारियों को चाहिए कि वे कक्षा का समय समाप्त होने तक फोन को बंद करके रखने की व्यवस्था करें.’’
तिरुवनंतपुरम: केरल (Keral) के बाल अधिकार आयोग (Child Rights Commission) ने एक महत्वपूर्ण आदेश में अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे स्कूलों (Schools) में मोबाइल फोन (Mobile Phone) ले जाने वाले छात्रों की तलाशी लेना बंद करें क्योंकि यह उनके ‘‘आत्मसम्मान’’ और ‘‘गरिमा’’ को ठेस पहुंचाता है. आयोग ने आदेश दिया कि कुछ विशेष जरूरतों के लिए माता-पिता की अनुमति से ‘इलेक्ट्रॉनिक गैजेट’ (Electronic Gadgets) को शिक्षण संस्थानों (Educational Institutions) में ले जाया जा सकता है.
आयोग ने कहा, ‘‘छात्रों की तलाशी लेना और मोबाइल फोन के लिए उनके बैग को खंगालना बर्बरतापूर्ण है और यह लोकतांत्रिक संस्कृति के खिलाफ है... यह बच्चों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचाने के समान है इसलिए इससे बचा जाना चाहिए.’’ Maharashtra Politics: संजय राउत का दावा, 'वेंटिलेटर' पर शिंदे सरकार, फरवरी महीना नहीं देख पाएगी
आयोग ने अपने हालिया आदेश में कहा कि यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाल अधिकार कानूनों के अलावा संविधान द्वारा सुनिश्चित मौलिक अधिकारों का भी उल्लंघन है. स्कूलों में छात्रों के मोबाइल फोन ले जाने पर लगाए गए प्रतिबंध की आलोचना करते हुए इसने कहा कि गैजेट आज के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं और उन्हें इसका आदी होने से बचाव के लिए वैज्ञानिक और मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण की आवश्यकता है.
आयोग ने आदेश में कहा कि वर्तमान में राज्य के स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध है और आयोग का भी यह रुख है कि बच्चों को स्कूलों में मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
आदेश में कहा गया, ‘‘हालांकि, बच्चों को स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल की अनुमति नहीं है, लेकिन कुछ विशेष जरूरतों के लिए वे इसे माता-पिता की अनुमति से ले जा सकते हैं. स्कूल के अधिकारियों को चाहिए कि वे कक्षा का समय समाप्त होने तक फोन को बंद करके रखने की व्यवस्था करें.’’
आयोग के अध्यक्ष के.वी. मनोज कुमार की अगुवाई वाली पूर्ण पीठ ने हाल में एक छात्र के माता-पिता की शिकायत पर विचार करते हुए यह महत्वपूर्ण निर्देश दिया, जिसका मोबाइल फोन स्कूल अधिकारियों द्वारा जब्त कर लिया गया था.
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