देश की खबरें | सक्सेना ने केजरीवाल को पत्र लिखकर ‘भ्रामक, अपमानजक टिप्प्णी’ का आरोप लगाया, मुख्यमंत्री का पलटवार
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर उनके खिलाफ 'भ्रामक और अपमानजनक' टिप्पणी करने का आरोप लगाया, जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें (राज्यपाल को) कंझावला जैसी एक और घटना होने से रोकने के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
नयी दिल्ली, 20 जनवरी दिल्ली के उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर उनके खिलाफ 'भ्रामक और अपमानजनक' टिप्पणी करने का आरोप लगाया, जिसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक ने पलटवार करते हुए कहा कि उन्हें (राज्यपाल को) कंझावला जैसी एक और घटना होने से रोकने के लिए कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि सूर्य और चंद्रमा ब्रह्मांड के ठीक से काम करने के लिए अपने स्वयं के स्थान पर रहकर अपनी भूमिका निभाते हैं, केजरीवाल ने सक्सेना से आग्रह किया कि उन्हें (मुख्यमंत्री को) काम करने की अनुमति दी जाए, ताकि दिल्ली में प्रणाली सुचारू रूप से कार्य कर सके।
यह ताजा वाकयुद्ध उस वक्त शुरू हुआ जब राज्यपाल ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उन पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों के साथ 16 जनवरी को राज निवास तक मार्च निकाले जाने के दौरान ‘‘राजनीतिक ढोंग’’ करने का आरोप भी लगाया।
सक्सेना ने कहा कि उन्होंने केजरीवाल को एक बैठक के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन मुख्यमंत्री अपने सभी विधायकों के साथ उनसे मुलाकात करने के बहाने की आड़ में बैठक में नहीं आए।
उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने बेहद कम वक्त में अचानक अपने सभी विधायकों के साथ बैठक किए जाने की मांग की, लेकिन एक बार में 70 से 80 लोगों से मुलाकात करना संभव नहीं था और न ही इसका कोई ठोस परिणाम निकल पाता।
उपराज्यपाल ने कहा, ‘‘दुर्भाग्य से आपने सुविधाजनक राजनीतिक ढोंग किया और कहा कि एलजी ने मुझसे मिलने से इनकार कर दिया है।’’
सक्सेना ने कहा, "मीडिया में प्रकाशित खबरों के माध्यम से यह मेरे संज्ञान में आया है कि आपने पिछले कुछ दिनों में राज्य विधानसभा के अंदर और बाहर कई बयान दिए हैं, जो गंभीर रूप से भ्रामक, असत्य और अपमानजनक हैं।"
उन्होंने केजरीवाल को लिखे पत्र में कहा, ‘‘मैं यहां बता दूं कि मुझे यह जानकर बहुत अचरज हुआ कि शहर विकास से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है, लेकिन फिर भी आपको मुझसे मुलाकात करके मुद्दे को तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के बजाय लंबा मार्च निकालने और प्रदर्शन करने का वक्त मिल गया।’’
दो दिन पहले विधानसभा में केजरीवाल द्वारा उपराज्यपाल पर निशाना साधे जाने के संदर्भ में सक्सेना ने कहा, ‘‘एलजी कौन हैं और वह कहां से आए हैं, जैसे सवालों का जवाब दिया जा सकता है, अगर आपने भारत के संविधान के संदर्भ में पूछा होता, लेकिन ऐसे लोगों को इसका जवाब नहीं दिया जा सकता, जो ‘बेहद निम्न स्तर की बयानबाजी’ पर उतर आए हैं।’’
सक्सेना ने यह भी कहा कि वह केजरीवाल के ‘‘प्रधानाध्यापक’’ के रूप में नहीं, बल्कि भारत के संविधान से निकली लोगों की ‘‘सौम्य, लेकिन कर्तव्यनिष्ठ आवाज’’ के रूप मे काम कर रहे हैं।
मंगलवार को मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ‘‘बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना’’ मुहावरे का इस्तेमाल करते हुए उपराज्यपाल के अधिकार पर सवाल उठाया और कहा कि ‘‘वह (सक्सेना) मेरे प्रधानाध्यापक’’ नहीं हैं।
सक्सेना ने राष्ट्रीय राजधानी में शिक्षा प्रणाली में विसंगतियों को दर्शाने के लिए कई सूचकांकों की ओर भी इशारा किया।
आंकड़ों का हवाला देते हुए, सक्सेना ने कहा कि सरकारी स्कूलों में औसत उपस्थिति 2012-2013 में 70.73 प्रतिशत थी, जो साल दर साल लगातार गिरती गई और 2019-2020 में यह 60.65 प्रतिशत तक पहुंच गई।
हालांकि, केजरीवाल ने सक्सेना को लिखे अपने पत्र में उल्लेख किया कि कैसे एलजी ने दिल्ली की शिक्षा प्रणाली की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने कहा कि आलोचना का 'उचित सम्मान' है।
केजरीवाल ने लिखा है, "दिल्ली की जनता ने हमें तीन बार ऐतिहासिक बहुमत दिया है। जनता की नज़र में हम अच्छा काम कर रहे हैं। आपकी आलोचना का उचित सम्मान है। कोई भी व्यवस्था पूर्ण नहीं है। दिल्ली की शिक्षा प्रणाली में कई सुधार हुए हैं, लेकिन अब भी बहुत कुछ करने की जरूरत है। हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है।’’
केजरीवाल ने कहा कि अगर केंद्र और विभिन्न उपराज्यपालों ने हस्तक्षेप नहीं किया होता तो सरकार शिक्षा के क्षेत्र में और प्रगति करती।
उपराज्यपाल को लिखे पत्र में केजरीवाल ने आरोप लगाया है कि सक्सेना को शहर की कानून व्यवस्था की स्थिति पर गौर करने के बजाय निर्वाचित सरकार के कार्यों में हस्तक्षेप करते देखा गया, यह सबसे खराब था।
उन्होंने कहा, "जब पूरी दुनिया दिल्ली को बलात्कार की राजधानी कहती है तो हर दिल्लीवासी का सिर शर्म से झुक जाता है। दिल्ली में अपराध बढ़ रहे हैं। महिलाओं को अपने घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है।"
केजरीवाल ने दावा किया कि निर्वाचित सरकार के रोजमर्रा के कार्यों में उपराज्यपाल के हस्तक्षेप से जनता में गुस्सा है।
उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों ने तब अपमानित महसूस किया, जब सक्सेना ने हाल ही में मुख्यमंत्री और राजनिवास में उनसे मिलने गए आप विधायकों से मिलने से इनकार कर दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा, "किसी दिन अगर सूरज को लगने लगे कि चांद ठीक से काम नहीं कर रहा है और आज मैं चांद का काम खुद करुंगा, तो पूरी पृथ्वी पर अराजकता दिखाई देगी। सूरज अपना काम करता है और चाद अपना काम, तभी पूरा सिस्टम सुचारू रूप से चलता है।
उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री को अपना काम करने दीजिए, आप दिल्ली की कानून व्यवस्था दुरुस्त कीजिए, ताकि कंझावला जैसे मामले दोबारा न हों, तभी दिल्ली का तंत्र ठीक होगा।"
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