देश की खबरें | हिंदू आध्यात्मिक नेता की रिहाई को लेकर साधु-संतों ने भारत-बांग्लादेश सीमा पर विरोध प्रदर्शन किया

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. समूचे पश्चिम बंगाल से 1,000 से अधिक साधु-संत बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के विरोध में और पड़ोसी देश में गिरफ्तार आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग को लेकर सोमवार को उत्तर 24 परगना में पेट्रापोल सीमा पर एक प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं।

कोलकाता, दो दिसंबर समूचे पश्चिम बंगाल से 1,000 से अधिक साधु-संत बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमलों के विरोध में और पड़ोसी देश में गिरफ्तार आध्यात्मिक नेता चिन्मय कृष्ण दास की रिहाई की मांग को लेकर सोमवार को उत्तर 24 परगना में पेट्रापोल सीमा पर एक प्रदर्शन में भाग ले रहे हैं।

अखिल भारतीय संत समिति के बैनर तले साधु संत सुबह से ही पेट्रापोल सीमा चौकी से करीब 800 मीटर दूर धरना स्थल पर पहुंचने लगे।

विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पश्चिम बंगाल इकाई के नेताओं ने बांग्लादेश मुद्दे को लेकर बुधवार को पेट्रापोल सीमा पर प्रदर्शन कार्यक्रम की भी घोषणा की है। ‘हिंदू जागरण मंच’ और अन्य धार्मिक समूहों के सदस्यों के भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल होने की संभावना है।

पेट्रापोल सीमा पर पहुंचने के बाद एक भिक्षु ने कहा, ‘‘हम मानव श्रृंखला बनाकर भारत सरकार और बांग्लादेश सरकार को शांति का संदेश देने के लिए विरोध प्रदर्शन करेंगे तथा बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचारों को तत्काल रोकने की मांग करेंगे।’’

अखिल भारतीय संत समिति की बंगाल शाखा के अध्यक्ष स्वामी परमात्मानंद ने रविवार को कहा था कि पेट्रापोल सीमा पर आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक बांग्लादेश सरकार हिंदुओं और मंदिरों पर हमले रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करती।

इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शसनेस (इस्कॉन) पिछले कुछ दिनों से कोलकाता के अल्बर्ट रोड स्थित अपने केंद्र में प्रार्थना सभाओं और कीर्तनों का आयोजन कर रहा है। समूह दास की रिहाई की मांग कर रहा है और पड़ोसी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की दुर्दशा पर चिंता व्यक्त की है।

हिंदू आध्यात्मिक नेता दास को बांग्लादेश में राजद्रोह के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया, जिसके बाद समुदाय के लोगों ने राजधानी ढाका और बंदरगाह शहर चटगांव सहित कई जगहों पर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।

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