नयी दिल्ली, 31 जुलाई राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर जारी हंगामे और नारेबाजी के बीच सभापति जगदीप धनखड़ ने सोमवार को विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बैठक कर मौजूदा गतिरोध को दूर करने के उपायों पर विचार करने की घोषणा की है। उच्च सदन की बैठक को हंगामे के कारण तीन बार के स्थगन के बाद अपराह्न साढ़े तीन बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक फिर शुरू होने पर सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि मणिपुर के मुद्दे पर नियम 176 के तहत चर्चा कराने के नोटिस दिये गये जिस पर उन्होंने विचार किया और चर्चा की अनुमति प्रदान कर दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने इस मुद्दे पर चर्चा कराये जाने पर सहमति व्यक्त कर दी है।
धनखड़ ने कहा कि अब सूचीबद्ध कामकाज के तहत सदन में मणिपुर में जातीय हिंसा के मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा करायी जानी है।
उन्होंने कहा कि नियम 267 के तहत जितने भी नोटिस दिये गये थे, उन्होंने उन सभी नोटिस को अस्वीकार कर दिया है। इस पर विपक्ष के सदस्य अपनी असहमति जताते हुए विरोध करने लगे।
धनखड़ ने विपक्ष के इस व्यवहार को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि आसन की व्यवस्था को चुनौती देना नियम के अनुरूप नहीं है।
उन्होंने असम गण परिषद के वीरेंद्र प्रसाद वैश्य को अल्पकालिक चर्चा शुरू करने के लिए आमंत्रित किया। वैश्य ने जैसे ही बोलना शुरू किया, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने व्यवस्था का प्रश्न उठाया।
सभापति ने सिंह को समझाते हुए कहा कि जब सदन में व्यवस्था ही कायम न हो तो ऐसे में व्यवस्था का प्रश्न कैसे उठाया जा सकता है। इसके बावजूद सिंह ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को बोलने का अवसर दिये जाने की मांग की।
इसी बीच सत्ता पक्ष के सदस्यों ने मणिपुर मुद्दे पर चर्चा कराये जाने की मांग शुरू कर दी। विपक्ष के सदस्य इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वक्तव्य की मांग करने लगे।
सदन में हंगामा थमते न देख सभापति ने दो बजकर 11 मिनट पर बैठक की कार्यवाही दोपहर ढाई बजे तक स्थगित कर दी।
दोपहर ढाई बजे बैठक फिर शुरू होने पर सदन में वही नजारा देखने को मिला। विपक्ष के सदस्य प्रधानमंत्री से सदन में आने तथा मणिपुर के मुद्दे पर बयान देने की मांग करते हुए नारे लगा रहे थे।
सभापति ने पहले तो मणिपुर मुद्दे पर अल्पकालिक चर्चा कराने के लिए कहा। किंतु सदन में हो रहे हंगामे और नारेबाजी को देखते हुए उन्होंने विभिन्न दलों के नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया ताकि मौजूदा गतिरोध समाप्त हो सके।
धनखड़ ने कहा, ‘‘मेरा कार्यालय कुछ दलों के नेताओं को अपराह्न दो बजकर 45 मिनट पर बैठक करने के लिए नोटिस भेजेगा ताकि (गतिरोध को दूर करने के लिए) कोई रास्ता निकाला जा सके।’’
इसी के साथ उन्होंने बैठक शुरू होने के महज एक मिनट के भीतर अपराह्न साढ़े तीन बजे तक कार्यवाही स्थगित कर दी।
दोपहर दो बजे से पहले विपक्षी सदस्यों के हंगामे और नारेबाजी के कारण सदन को दो बार स्थगित किया गया। हंगामे के कारण शून्यकाल एवं प्रश्नकाल सामान्य ढंग से नहीं चल पाए।
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