Paris Olympics 2024: पेरिस ओलंपिक की भाला फेंक स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीत पर इतिहास रचने वाले पाकिस्तान के एथलीट अरशद नदीम इस बात से खुश हैं कि भारतीय स्टार नीरज चोपड़ा के साथ उनकी प्रतिद्वंद्विता चर्चा का विषय बनी हुई है क्योंकि उनका मानना है कि इससे दोनों देशों के युवा प्रेरित होते हैं. नदीम ने गुरुवार की रात 92.97 मीटर भाला फेंक कर ओलंपिक का नया रिकार्ड बनाने के साथ स्वर्ण पदक जीता. चोपड़ा ने भी इस सत्र का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 89.45 मीटर की दूरी नापकर रजत पदक हासिल किया. यह 11 मुकाबलों में पहला अवसर है जबकि नदीम ने चोपड़ा को पीछे छोड़ा.
व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाला पहला पाकिस्तानी खिलाड़ी बनने के बाद 27 वर्षीय नदीम ने पत्रकारों से कहा,‘‘जब क्रिकेट मैच या अन्य खेलों की बात होती है तो निश्चित तौर पर उसमें प्रतिद्वंद्विता शामिल होती है. लेकिन यह दोनों देशों के लिए अच्छी बात है जो हमारा और खेल के अपने आदर्श खिलाड़ियों का अनुसरण करके खेलों से जुड़ना चाहते हैं और अपने देश का नाम रोशन करना चाहते हैं.’’ वह 1988 के सियोल ओलंपिक में मुक्केबाज हुसैन शाह के मिडिल-वेट में कांस्य पदक जीतने के बाद पाकिस्तान के पहले व्यक्तिगत पदक विजेता भी हैं. नदीम और चोपड़ा मैदान पर कड़े प्रतिस्पर्धी होने के बावजूद मैदान के बाहर अच्छे दोस्त हैं. कुछ महीने पहले जब नदीम ने एक अच्छा भाला खरीदने के लिए सोशल मीडिया पर धन राशि जुटाने की अपील की तो चोपड़ा ने भी उनका समर्थन किया था. यह भी पढ़ें: Hockey at Paris Olympics 2024: मध्य प्रदेश सीएम मोहन यादव ने हॉकी खिलाड़ी विवेक सागर से की बात, 1 करोड़ के इनाम का ऐलान
नदीम ने कहा,‘‘मैं अपने देश का आभारी हूं. हर किसी ने मेरे लिए दुआ की और मुझे अच्छा प्रदर्शन करने की पूरी उम्मीद थी. पिछले कुछ समय से में घुटने की चोट से परेशान था लेकिन इससे उबरने के बाद मैंने अपनी फिटनेस पर काम किया. मुझे 92.97 मीटर से आगे भाला फेंकने की पूरी उम्मीद थी लेकिन आखिर में वह प्रयास स्वर्ण पदक जीतने के लिए पर्याप्त साबित हुआ.’’ उन्होंने कहा,‘‘मैं कड़ी मेहनत जारी रखूंगा और आगे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करूंगा. मेरा लक्ष्य इससे भी दूर भाला फेंकना है .’’नदीम ने कहा कि पहले वह क्रिकेटर बनना चाहते थे और उन्होंने टेबल टेनिस में भी हाथ आजमाया था.
उन्होंने कहा,‘‘मैं पहले क्रिकेटर था और मैंने टेबल टेनिस भी खेली है और मैं एथलेटिक्स की अन्य प्रतियोगिताओं में भी भाग लेता था. लेकिन मेरे कोच ने कहा कि जिस तरह की मेरी शारीरिक बनावट है उससे मैं भाला फेंक का अच्छा एथलीट बन सकता हूं. इसके बाद 2016 से मैंने अपना पूरा ध्यान भाला फेंक पर लगाया.’’’ नदीम ने कहा,‘‘ मैं एक किसान परिवार से आता हूं और जब भी मैं पदक जीतता हूं तो अपने अतीत को याद करता हूं जिससे मुझे और अच्छा प्रदर्शन करने की प्रेरणा मिलती है. यही वजह है कि मैं अब भी विनम्र हूं तथा और अधिक सफल होना चाहता हूं.’’
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