दक्षिणपंथी संगठन ने ताज महल में उर्स के आयोजन के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया
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आगरा, 3 फरवरी : एक दक्षिणपंथी संगठन ने आगरा की एक अदालत में याचिका दायर कर ताज महल में उर्स के आयोजन पर रोक लगाए जाने का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता अखिल भारत हिंदू महासभा (एबीएचएम) ने उर्स के लिए ताज महल में मुफ्त प्रवेश को भी चुनौती दी है. अदालत ने याचिका स्वीकार करते हुए मामले में सुनवाई की तारीख चार मार्च तय की है. मुगल सम्राट शाहजहां के तीन दिवसीय ‘उर्स’ का आयोजन इस साल छह फरवरी से आठ फरवरी तक होना है. शाहजहां ने 1653 में यमुना नदी के तट पर ताज महल का निर्माण कराया था.

याचिकाकर्ता के वकील अनिल कुमार तिवारी ने कहा, ‘‘याचिकाकर्ता एबीएचएम ने अपनी मंडल प्रमुख मीना दिवाकर और जिला अध्यक्ष सौरभ शर्मा के माध्यम से शुक्रवार को आगरा की दीवानी अदालत परिसर में दीवानी मामलों के चतुर्थ अतिरिक्त न्यायाधीश (जूनियर डिवीजन) कक्ष संख्या चार की अदालत में एक याचिका दायर की.’’ तिवारी ने कहा, ‘‘उन्होंने उर्स मनाने वाली समिति के खिलाफ स्थायी निषेधाज्ञा का अनुरोध किया है. याचिकाकर्ता ने उर्स के लिए ताज महल में मुफ्त प्रवेश दिए जाने पर भी आपत्ति जताई है.’’ यह भी पढ़ें : सीएम अरविंद केजरीवाल के आवास पर नोटिस देने पहुंची क्राइम ब्रांच की टीम

एबीएचएम के प्रवक्ता संजय जाट ने तर्क दिया कि संस्था ने उस आरटीआई (सूचना का अधिकार) के आधार पर याचिका दायर की जिससे पता चला कि न तो मुगलों और न ही अंग्रेजों ने ताज के अंदर उर्स आयोजित करने की अनुमति दी थी. उन्होंने ‘पीटीआई ’ से कहा, ‘‘यह याचिका आगरा शहर के इतिहासकार राज किशोर राजे द्वारा दायर एक आरटीआई के आधार पर दायर की गई है. आरटीआई में उन्होंने एएसआई से पूछा था कि ताज महल परिसर में उर्स मनाने और नमाज की अनुमति किसने दी? एएसआई ने जवाब दिया कि न तो मुगलों और न ही ब्रिटिश सरकार या भारत सरकार ने ताज महल में उर्स मनाने की अनुमति दी है.’’