देश की खबरें | कर्नाटक में सत्ता में वापसी से भाजपा को देश में जीत का माहौल बनाए रखने में मिल सकती है मदद

बेंगलुरु, 29 मार्च कर्नाटक की सत्ता में वापसी करने से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपनी जीत का सिलसिला बनाए रखने में मदद मिलने की उम्मीद है और उसमें इस साल के अंत में होने वाले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों में चुनावों में अच्छे प्रदर्शन का हौसला भी आ सकता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा के कर्नाटक के तूफानी दौरों से पार्टी के प्रचार अभियान को गति मिलना स्वाभाविक है। उधर, कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को चुनाव के दौरान मुख्य मुद्दा बना रखा है।

भाजपा की प्रदेश इकाई 10 मई को होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी संभावनाओं को मजबूत करने के लिए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व पर भरोसा कर रही है।

पार्टी ने चुनाव की तैयारियों के तहत पिछले कुछ सप्ताह में सभी विधानसभा क्षेत्रों में ‘जन संकल्प यात्रा’ निकाली है। हालांकि पार्टी के दो विधान परिषद सदस्यों के पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल होने से उसे झटका लगा है।

राज्य में 2018 में हुए चुनाव के परिणाम में भाजपा सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी लेकिन वह बहुमत से दूर रह गयी थी। तब जनता दल (सेकुलर) (जदसे) और कांग्रेस ने मिलकर सरकार बनाई थी और जदसे नेता एच डी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने थे।

लेकिन भाजपा ने जुलाई 2019 में कांग्रेस और जदसे के 17 विधायकों की मदद से सरकार बनाई जो इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गए थे।

यहां भाजपा की क्षमता, कमजोरी, अवसर और उसके सामने चुनौतियों का विश्लेषण है।

क्षमता:

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा के नेतृत्व में एक मजबूत केंद्रीय प्रचार अभियान टीम जिसमें कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हैं।

- लिंगायत समुदाय के मजबूत नेता बी एस येदियुरप्पा का सक्रिय अभियान जिनकी पूरे कर्नाटक में स्वीकार्यता है।

- राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय का समर्थन।

- मोदी सरकार के अनेक विकास और सामाजिक कल्याण कार्यक्रम।

- संघ परिवार के संगठनों के समर्थन वाला एक मजबूत आधार।

कमजोरी:

- सत्ता विरोधी लहर।

- भाजपा विधायक एम विरुपक्षप्पा और उनके बेटे की पिछले दिनों रिश्वत लेने के आरोपों में गिरफ्तारी।

- ठेकेदारों के संगठन, निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों और एक मठ के पुजारी द्वारा लगाए गए रिश्वत के आरोप, कांग्रेस द्वारा इसके खिलाफ ‘40 प्रतिशत कमीशन’ लेने का आरोप भी।

अवसर:

- वोक्कालिगा समुदाय के समर्थन वाले रुख के कारण पुराने मैसुरु क्षेत्र में बढ़ता समर्थन आधार, जहां वह कमजोर मानी जाती है।

- मांड्या से निर्दलीय सांसद सुमलता अंबरीश का भाजपा को समर्थन।

- आरक्षण संबंधी फैसलों के बाद अनुसूचित जाति के समुदायों के बीच आधार बढ़ना।

- शिक्षा और सरकारी नौकरियों में वोक्कालिगा और लिंगायत समुदाय का आरक्षण बढ़ने के बाद उनके बीच आधार मजबूत होना।

- युवा और पहली बार के मतदाताओं को प्रभावित करना।

चुनौती:

- भ्रष्टाचार के आरोपों पर कांग्रेस का अभियान।

- अल्पसंख्यकों के लिए ओबीसी आरक्षण समाप्त होने के बाद भाजपा से उनका और दूर होना।

- कुछ दावेदारों को टिकट नहीं मिलने पर आंतरिक असंतोष।

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