जरुरी जानकारी | महंगाई की चिंता में रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में नहीं किया बदलाव, कर्ज पुनर्गठन की दी मंजूरी

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. रिजर्व बैंक ने हाल में छह प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास जारी रखते हुये कंपनियों और व्यक्तिगत कर्ज के पुनर्गठन की सुविधा की छूट दी।

मुंबई, छह अगस्त रिजर्व बैंक ने हाल में छह प्रतिशत से ऊपर निकल चुकी महंगाई पर अंकुश रखने के लिये बृहस्पतिवार को नीतिगत ब्याज दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया। केन्द्रीय बैंक ने इसके साथ ही कोरोना वायरस से प्रभावित अर्थव्यवस्था को उबारने के प्रयास जारी रखते हुये कंपनियों और व्यक्तिगत कर्ज के पुनर्गठन की सुविधा की छूट दी।

कोविड19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था पिछले चार दशक में पहली बार संकुचन की तरफ बढ़ रही है।

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केन्द्रीय बैंक ने घर- परिवारों में नकदी की तंगी दूर करने के लिये सोने के आभूषण और जेवरादि के बदले बैंकों से दिये जाने वाले कर्ज की सीमा को उनके मूल्य के 75 प्रतिशत से बढ़ाकर 90 प्रतिशत कर दिया।

रिजर्व बैंक ने मौजूदा उपायों के अलावा गैर बैंकिंग वित्त कंपनियों में नकदी बढ़ाने के अतिरिक्त उपायों की भी घोषणा की है।

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रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिवसीय बैठक की समाप्ति पर बृहस्पतिवार को गवर्नर शक्तिकांत दास ने समिति के फैसलों की जानकारी देते हुये कहा कि पिछली दो बैठकों में नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती के बाद समिति ने इस बार रेपो सहित अन्य दरों को यथावत बनाये रखने के पक्ष में मत दिया।

रेपो दर 4 प्रतिशत पर, रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमसीएफ) दर 4.25 प्रतिशत पर बनी रहेगी। नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) भी 3 प्रतिशत पर बरकार रखा गया है।

मौद्रिक नीति समिति का मानना है कि मुद्रास्फीति चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई- सितंबर) के दौरान ऊंची बनी रहेगी लेकिन उसके बाद वर्ष की दूसरी छमाही में यह कुछ नरम पड़ जायेगी।

जून में खुदरा मुद्रास्फीति 6.09 प्रतिशत थी।

उन्होंने कहा कि एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को फिर से पटरी पर लाने, कोविड-19 के प्रभाव को कम करने के लिये जब तक जरूरी समझा जायेगा मौद्रिक नीति के रुख को नरम बनाये रखने का फैसला किया है। हालांकि इसके साथ ही मुद्रास्फीति को तय दायरे में रखने पर भी ध्यान दिया जाता रहेगा।

रिजर्व बैंक ने ऐसे कंपनियों के कर्ज के पुनर्गठन की भी मंजूरी दी है जिन पर एक मार्च 2020 को 30 दिन से अधिक की चूक नहीं हुई थी। ऐसी कंपनियों को बैंक दो साल का कर्ज विस्तार दे सकते हैं। यह विस्तार कर्ज किस्त के भुगतान पर रोक के साथ अथवा बिना किसी तरह की रोक के साथ दिया जा सकता है।

दास ने कहा कि इस प्रकार के पुनर्गठित कर्ज के लिये बैंकों को हानि-लाभ के खातों में ऊंचा प्रावधान करने की आवश्यकता नहीं होगी। इसी प्रकार कोराना वायरस महामारी से प्रभावित लघु एवं मझोले उद्योगों (एसएमई) और व्यक्तिगत कर्जदारों के लिये भी कर्ज पुनर्गठन के वास्ते एक अलग सुविधा होगी।

दास ने कहा कि रिण समस्या के समाधान की इस योजना को 2020 के भीतर किसी भी समय इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन इस्तेमाल करने के 180 दिन के भीतर इस पर अमल करना होगा। उन्होंने कहा कि रिण समाधान की इस सुविधा में कहीं न कहीं भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती को बनाये रखने की सोच निहित है।

गवर्नर ने ब्रिक्स बैंक और आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व चेयरमैन रह चुके के वी कॉमथ की अध्यक्षता में एक विशेष समिति बनाने की भी घोषणा की है। यह समिति रिण पुनर्गठन के लिये अलग अलग क्षेत्रों के वित्तीय मानदंडों को ध्यान में रखते हुये कंपनियों और व्यक्तिगत कर्ज समाधान की योजना पर गौर करेगी।

रिजर्व बैंक ने प्राथमिक क्षेत्र के रिण का दायरा भी बढ़ाया है। इसमें स्टार्ट अप्स को भी शामिल किया गया है। वहीं नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र के लिये रिण सीमा को और बढ़ाया गया है। केन्द्रीय बैंक प्राथमिक क्षेत्र रिण के तहत छोटे और सीमांत किसानों तथा कमजोर वर्ग को दिये जाने वाले कर्ज के लक्ष्य में भी वृद्धि करेगा।

केन्द्रीय बैंक ने राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और राष्टीय आवास बैंक (एनएचबी) प्रत्येक को रेपो दर पर 5,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी उपलब्ध कराने की घोषणा की है। इससे प्राथमिक क्षेत्र के

साथ ही आवास क्षेत्र में भी नकदी संबंधी चुनौतियां कम होंगी।

दास ने कहा कि सोने के आभूषण और जेवरों के बदले दिये जाने वाले कर्ज की सीमा को बढ़ाया गया है। वर्तमान में गिरवी रखे जाने वाले सोने के आभूषण के मूल्य के 75 प्रतिशत तक कर्ज देने की व्यवस्था है, जिसे बढ़ाकर 90 प्रतिशत करने का फैसला किया गया है। यह ढील 31 मार्च 2021 तक उपलब्ध होगी।

रिजर्व बैंक की नीतिगत दर में कटौती को विराम देने को केन्द्र बैंक द्वारा मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के बीच संतुलन बिठाने के तौर पर देखा जा रहा है। जून में मुद्रास्फीति 6.09 प्रतिशत पर पहुंच गईजो कि रिजर्व बैंक के संतुष्टि स्तर से ऊपर है।

छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति ने खाद्य जिंसों के महंगा होने की आशंका जताई है। उनके मुताबिक अगली तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान मुद्रास्फीति बढ़ सकती है। हालांकि, उनके मुताबिक 2020- 21 की दूसरी दमाही में इसमें कुछ नरमी आयेगी।

दास ने कहा कि अर्थव्यवस्था में अप्रैल- मई के निम्न स्तर से सुधार आना शुरू हो गया था लेकिन हाल में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बाद कई शहरों में फिर से लॉकडाउन लगाये जाने से तेजी से बढ़ती गतिविधियां कमजोर पड़ गईं।

रिजर्व बैंक ने अप्रैल 2020 से मार्च 2021 के वित्त वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में गिरावट आने का भी अनुमान व्यक्त किया है। दास ने कहा, ‘‘वित्त वर्ष की पहली छमाही में वास्तविक जीडीपी संकुचन के दायरे में रहेगी जबकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में भी कुल मिलाकर इसके नकारात्मक रहने का अनुमान है।’’

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