कर्नाटक में ‘युवा निधि’ के लिए पंजीकरण की शुरुआत, सिद्धरमैया ने पूछा- अर्थशास्त्री हैं क्या प्रधानमंत्री मोदी
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बेंगलुरु, 26 दिसंबर: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने राज्य की कांग्रेस सरकार की पांच गारंटियों की आलोचना करने के लिए मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और सवाल किया कि क्या वह कोई अर्थशास्त्री हैं. मुख्यमंत्री ने 10 साल पहले हर साल दो करोड़ नौकरी देने का वादा निभाने में नाकाम रहने के लिए भी प्रधानमंत्री पर निशाना साधा. सिद्धरमैया ने कहा, “श्रीमान प्रधानमंत्री, हमारी कांग्रेस सरकार ने कर्नाटक में सभी पांच गारंटियां लागू की हैं. आपका यह बयान गलत साबित हुआ कि राज्य दिवालिया हो जाएगा.”

उन्होंने ने कांग्रेस की पांचवीं और अंतिम चुनावी गारंटी ‘युवा निधि’ के लिए पंजीकरण शुरू होने के मौके पर यह बात कही. इस योजना के तहत अकादमिक वर्ष 2022-2023 में स्नातक की पढ़ाई कर चुके बेरोजगार युवकों को 3,000 रुपये जबकि डिप्लोमाधारकों को 1,500 रुपये देने का प्रावधान है. सिद्धरमैया ने कहा, “क्या मोदी अर्थशास्त्री हैं? उन्होंने कहा था कि अगर पांच गारंटियां पूरी हुईं तो कर्नाटक दिवालिया हो जाएगा. सच्चाई यह है कि राज्य इन पांच गारंटियों के पूरा होने के बाद आर्थिक रूप से मजबूत हुआ है.”

उन्होंने कहा, “क्या आपने (प्रधानमंत्री मोदी) अपने वादे के अनुसार हर साल दो करोड़ नौकरियां सृजित कीं. आपको दस साल में 20 करोड़ नौकरियां सृजित करनी थीं. क्या आपने इतनी नौकरियां सृजित कीं. आप अपना वादा निभाने में नाकाम रहे.” मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार युवाओं को युवा निधि सहायता देने के अलावा मुफ्त प्रशिक्षण भी देगी. उन्होंने सभा को यह भी बताया कि लाभ का वितरण 12 जनवरी, 2024 को विवेकानंद जयंती से शुरू होगा और पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा किया जाएगा.

सिद्धारमैया ने यह भी कहा कि सरकार राज्य में रिक्त नौकरियों को भरने के लिए कदम उठाएगी। इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री डी. के. शिवकुमार, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री शरणप्रकाश पाटिल और परिवहन मंत्री रामलिंगा रेड्डी भी उपस्थित थे. योजना के तहत राशि का वितरण 12 जनवरी 2024 से शुरू होगा. इसी दिन स्वामी विवेकानन्द की जयंती है. योजना के तहत शैक्षणिक वर्ष 2022-23 में उत्तीर्ण होने वाले स्नातकों को 3,000 रुपये और डिप्लोमा धारकों को 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी.

अधिकारियों ने बताया कि यह राशि उन लोगों को दी जाएगी, जिन्हें डिग्री/डिप्लोमा उत्तीर्ण करने की तारीख से 180 दिन पूरे होने के बाद भी नौकरी नहीं मिली. उन्होंने कहा कि इच्छुक उम्मीदवारों को कम से कम छह साल के लिए कर्नाटक का अधिवास साबित करना होगा.

बेरोजगारी भत्ता डिग्री/डिप्लोमा का परिणाम घोषित होने की तारीख से दो साल की अवधि के लिए या उसके नियोजित/स्वरोजगार होने तक, जो भी पहले हो, दिया जाएगा. राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में हस्तांतरित की जाएगी.

ऐसे उम्मीदवार जो स्व-रोजगार कर रहे हैं और उच्च शिक्षा जारी रख रहे हैं, उन्हें योजना से बाहर रखा गया है. कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री शरण प्रकाश पाटिल के मुताबिक, इस साल योजना के लिए 250 करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं. उन्होंने कहा कि जो लोग लाभ लेना चाहते हैं वे ‘सेवा सिंधु पोर्टल’ के जरिये या ‘कर्नाटक वन’, ‘बेंगलुरु वन’, ‘ग्राम वन’ और ‘बापूजी सेवा केंद्र’ के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं.

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