जरुरी जानकारी | आरबीआई की मौद्रिक नीति उम्मीद के मुताबिक, सीआरआर में कटौती से वृद्धि को मिलेगा समर्थन: विशेषज्ञ

मुंबई, छह दिसंबर भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति उम्मीद के मुताबिक है और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती से वृद्धि को समर्थन मिलेगा। विशेषज्ञों ने शुक्रवार को यह राय जताई।

रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को मुद्रास्फीति के जोखिम का हवाला देते हुए अपनी प्रमुख ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं किया, लेकिन सीआरआर में कटौती की। ऐसे में बैंकों को केंद्रीय बैंक के पास कम नकदी रखनी होगी। ऐसे में अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिए बैंकों के बाद धन बढ़ेगा। आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि के अनुमान में भी कटौती की है।

उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष हर्षवर्धन अग्रवाल ने कहा कि हालांकि रेपो दर पर आरबीआई का रुख उम्मीद के मुताबिक है, लेकिन उद्योग निकाय सीआरआर दर में आधा प्रतिशत की कटौती का स्वागत करता है।

उन्होंने कहा, ''यह कदम सही समय पर और व्यावहारिक है। इससे ऋण और समग्र वृद्धि को समर्थन देने वाली नकदी की स्थिति को आसान बनाने में मदद मिलेगी।''

अग्रवाल ने कहा कि खाद्य कीमतों की वजह से महंगाई बढ़ी है और इसमें सुधार की संभावना है।

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने सीआरआर में कटौती का स्वागत करते हुए कहा कि इस फैसले से अर्थव्यवस्था के सभी उत्पादक क्षेत्रों को अतिरिक्त संसाधन मिलेंगे।

उन्होंने कहा, ''यह सीआईआई का एक खास अनुरोध था, साथ ही हमने प्रमुख ब्याज दर में नरमी का अनुरोध भी किया था। हालांकि, हम कुल मिलाकर बयान से संतुष्ट हैं कि तटस्थ रुख बनाए रखा गया है और मुद्रास्फीति में अपेक्षित कमी के साथ हम निकट भविष्य में दरों में कटौती की उम्मीद कर सकते हैं।''

उन्होंने कहा कि ‘म्यूल’ (फर्जी) खातों का पता लगाने के लिए 'म्यूलहंटर डॉट एआई' पहल से आर्थिक धोखाधड़ी को रोकने में मदद मिलेगी।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि आरबीआई ने संकेत दिया है कि मुख्य मुद्रास्फीति बढ़ सकती है, क्योंकि कई विनिर्माण और सेवा उद्योग के उत्पादों की लागत में वृद्धि देखी गई है।

उन्होंने यह भी कहा कि चौथी तिमाही के लिए 4.5 प्रतिशत मुद्रास्फीति के पूर्वानुमान को देखते हुए अगली नीति में रेपो दर में कमी की जा सकती है।

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष हेमंत जैन ने कहा कि आरबीआई के सीआरआर को 4.5 प्रतिशत से घटाकर चार प्रतिशत करने से अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ेगी और साथ ही कारोबारी भावनाओं को भी मजबूती मिलेगी।

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