जरुरी जानकारी | आरबीआई ने रीयल एस्टेट क्षेत्र में रिण प्रवाह बढ़ाने को उठाये कदम

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आवास रिण को बढ़ावा देने के इरादे से हाल में घोषित उपायों को अमल में लाने की शुक्रवा को पहल की। इसके तहत कर्ज-मूल्य अनुपात (एलटीवी) यानी मूल्य के अनुपात में दिये जाने वाले आवास ऋण के लिये जोखिम भारांश को युक्तिसंगत बनाया गया है। यह नई व्यवस्था 31 मार्च, 2022 तक मंजूर किये जाने वाले सभी आवास ऋण पर लागू होगी।

मुंबई, 16 अक्टूबर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आवास रिण को बढ़ावा देने के इरादे से हाल में घोषित उपायों को अमल में लाने की शुक्रवा को पहल की। इसके तहत कर्ज-मूल्य अनुपात (एलटीवी) यानी मूल्य के अनुपात में दिये जाने वाले आवास ऋण के लिये जोखिम भारांश को युक्तिसंगत बनाया गया है। यह नई व्यवस्था 31 मार्च, 2022 तक मंजूर किये जाने वाले सभी आवास ऋण पर लागू होगी।

इससे एक तरफ जहां बैंकों के पास रीयल एस्टेट क्षेत्र को कर्ज देने के लिये अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी, वहीं वे ग्राहकों को लाभ देने के लिये ब्याज भी कम कर सकेंगे।

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आरबीआई की इस संबंध में जारी अधिसूना के अनुसार जहां मकान के मूल्य के समक्ष कर्ज यानी एलटीवी 80 प्रतिशत से कम है तो नये आवास ऋण पर जोखिम भारांश 35 प्रतिशत होगा। वहीं एलटीवी 80 प्रतिशत से अधिक है लेकिन 90 प्रतिशत से कम है तो जोखिम भारांश 50 प्रतिशत होगा।

आरबीआई ने कहा कि इस उपाय से रीयल एस्टेट क्षेत्र मे बैंक कर्ज को गति मिलने की उम्मीद है। इस क्षेत्र में रोजगार सृजन तथा दूसरे उद्योगों के जुड़े होने को देखते हुए यह आर्थिक पुनरूद्धार के लिये महत्वपूर्ण है।

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अधिसूचना में कहा गया है कि मौजूदा आर्थिक नरमी की स्थिति से निपटने के लिये जोखिम भारांश को युक्तिसंगत बनाने का फैसला किया गया है।

यह नई व्यवस्था अधिसूचना जारी होने की तारीख से लेकर 31 मार्च, 2022 तक मंजूर होने वाले सभी आवास ऋण पर लागू होगी। यानी इससे बैंकों को प्रत्येक आवास रिण पर जाखिम के लिहाज से पहले जो ऊंचा प्रावधान करना होता था वह अब कम होगा। इससे उनका बोझ कम होगा।

इस प्रकार के कर्ज पर 0.25 प्रतिशत का मानक संपत्ति प्रावधान पहले की तरह लागू रहेगा।

इस बारे में एनरॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा कि एलटीवी अनुपात संपत्ति के मूल्य को दिये जाने वाले कर्ज की राशि से भाग देकर निकाला जाता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई 80 लाख रुपये का मकान खरीदता है और उसके लिये 10 लाख रुपये का शुरुआती भुगतान करता है तब उसे 70 लाख रुपये कर्ज लेना है।

उन्होंने कहा, ‘‘एलटीवी पर जोखिम भारांश की व्यवस्था को युक्तिसंगत बनाने से बैंकों के पास कर्ज देने के लिये अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी। इससे वे ब्याज दर भी कम कर सकेंगे क्योंकि उनके पास ऋण देने को लेकर अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध होगी।’’

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