जरुरी जानकारी | आरबीआई ने नीतिगत दर में नहीं किया कोई बदलाव, अर्थव्यवस्था की मदद के लिये विभिन्न उपायों की घोषणा

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ कोविड-19 महामारी के कारण शुरूआती आर्थिक पुनरूद्धार पर पड़े प्रतिकूल असर को देखते हुए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिये नये उपायों की घोषणा की।

मुंबई, चार जून भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। इसके साथ कोविड-19 महामारी के कारण शुरूआती आर्थिक पुनरूद्धार पर पड़े प्रतिकूल असर को देखते हुए अर्थव्यवस्था को समर्थन देने के लिये नये उपायों की घोषणा की।

केंद्रीय बैंक ने महामारी की रोकथाम के लिये विभिन्न राज्यों में लगाये लॉकडाउन को देखते हुये चालू वित्त वर्ष के लिये आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को 10.5 प्रतिशत से घटाकर 9.5 प्रतिशत कर दिया। वहीं मुद्रास्फीति 0.10 प्रतिशत बढ़कर 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के छह सदस्यों ने रेपो दर को 4 प्रतिशत पर बरकरार रखने के पक्ष में मत दिया। इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर 3.35 प्रतिशत और बैंक दर 4.25 प्रतिशत पर कायम रखी गयी।

रेपो दर में यथास्थिति के चलते उपभोक्ताओं के लिये विभिन्न कर्जों पर ब्याज दरों में किसी बदलाव की भी उम्मीद नहीं है।

मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद दास ने कहा, ‘‘एमपीसी का मानना है कि 2021 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों की जो रफ्तार बनी थी उसे फिर से हासिल करने के लिये इस समय चारों तरफ से नीतिगत समर्थन की आवश्यकता है। हमें आर्थिक क्षेत्र में जो बेहतर शुरुआत हुई थी उसे आगे बढ़ाना है।’’

दास ने दरों में और कटौती की गुंजाइश का संकेत देते हुये कहा कि अर्थव्यवस्था पर कोविड- 19 के प्रभाव को कम करने और लंबे समय तक वृद्धि को बनाये रखने के लिये जब तक जरूरी होगा मौद्रिक नीति का रुख उदार बनाये रखने का निर्णय किया गया है।

आरबीआई ने बाजार में कर्ज लागत पर अंकुश बनाये रखने के लिये उसने मात्रात्मक नरमी के रुख का विस्तार किया है। उसने कहा कि सरकारी प्रतिभूतियों के खरीद कार्यक्रम (जी-सैप) 2.0 के तहत वह चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 1.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त प्रतिभूतियों की खरीद करेगा। इससे बाजार में नकदी प्रवाह बढ़ेगा।

इससे पहले, अप्रैल में रिजर्व बैंक ने जी-सैप 1.0 के तहत बाजार से अप्रैल-मई के दौरान एक लाख करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों को खरीदने की प्रतिबद्धता जताई थी। जी-सैप 1.0 के तहत रिजर्व बैंक इसी महीने 17 जून को 40 हजार करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा।

रिजर्व बैंक की इस पहल का मकसद सरकार के बाजार उधारी कार्यक्रम के लिये ब्याज दरों को अनुकूल स्तर पर बनाये रखना है।

कोविड-19 की दूसरी खतरनाक लहर से आर्थिक पुनरूद्धार पर प्रतिकूल असर पड़ा। हालांकि दास ने कहा कि कोविड- 19 की पहली लहर के मुकाबले दूसरी लहर में आर्थिक गतिविधियों पर असर नियंत्रित दायरे में रहने का अनुमान है। इसमें आवागमन प्रतिबंध क्षेत्रीय आधार पर सीमित रहा है जबकि पहली लहर में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के कारण गतिविधियां थम गईं थी।

दास ने कहा कि 2021- 22 में खुदरा मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। हालांकि, मौजूदा लॉकडाउन के दौर के बीच आपूर्ति अड़चनें बढ़ने और जिंसों के ऊंचे दाम से इसके बढ़ने का जोखिम भी है।

रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था की मदद के लिये अन्य उपायों की घोषणा की। इसके तहत कोविड- 19 से बुरी तरह प्रभावित होटल और पर्यटन उद्योग को कर्ज देने को लेकर 15,000 करोड़ रुपये तक की विशेष नकदी की व्यवस्था की गयी है। यह सुविधा 31 मार्च, 2022 तक उपलब्ध होगी। इसमें बैंक रेपो दर तीन साल तक के लिये होटल, रेस्तरां औरपर्यटन क्षेत्र को नये कर्ज दे सकते हैं।

इसके अलावा सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम श्रेणी के उद्योगों (एमएसएमई) को कर्ज देने के लिये भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) को 16,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तपोषण देने का फैसला किया गया है। यह सरकारी वित्त संस्थानों के लिये अप्रैल में घोषित 50,000 करोड़ रुपये की राशि से अलग है।

कोविड- 19 से प्रभावित व्यवसायों की मदद के लिये हाल में घोषित कर्ज पुनर्गठन सुविधा का विस्तार 50 करोड़ रुपये तक के बकाया कर्ज वाले सभी उद्यमों के लिये कर दिया गया है। पहले यह सीमा 25 करोड़ रुपये की थी।

दास ने कहा कि संभी संकेतकों को देखते हुए देश का विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डॉलर के रिकॉर्ड स्तर को पार कर गया है। विदेशी मुद्रा के इस विशाल भंडार से वैश्विक संकट और विदेशी पूंजी प्रवाह में उतार-चढ़ाव से निपटने में मदद मिलेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘इस समय एमपीसी ने बहुत सोच-विचारकर वृद्धि पर ध्यान देने का निर्णय किया है।’’

रिजर्व बैंक ने पिछले साल मार्च के बाद से अब तक रेपो दर में 1.15 प्रतिशत की कटौती की है। इसके परिणामस्वरूप ब्याज दरें रिकार्ड निम्न स्तर पर आ गई हैं।

मूडीज एनालिटिक्स ने आरबीआई की मौद्रिक नीति के बारे में कहा कि नए कोरोनो वायरस संक्रमण में गिरावट की प्रवृत्ति है, लेकिन प्रतिबंधों में धीरे-धीरे ढील दिए जाने की संभावना है। घरेलू मांग में तीव्र नरमी जून तिमाही के बाद पुनरुद्धार को कमजोर कर सकती है।

उसने कहा कि मुद्रास्फीति दबाव के बावजूद आरबीआई अगली दो तिमाहियों तक एक उदार रुख बनाए रख सकता है। साथ ही पुनरूद्धार को समर्थन करने के लिए नकदी उपायों का दायरा बढ़ाया गया है।

दास ने कहा, ‘‘बीते साल में रिजर्व बैंक महामारी से बुरी तरह से प्रभावित अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को बचाने में लगा रहा। महामारी संकट के बीच हम लगातार निगरानी रखे हुये हैं।’’

उन्होंने कहा कि हम सभी पक्षों के लिये अनुकूल वित्तीय परिस्थितियां, वित्तीय स्थायित्व बनाये रखने की अपनी प्रतिबद्धता का पूरी लगन और मेहनत के साथ पालन कर रहे हैं।’’

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