कोच्चि: भारतीय शोधकर्ताओं को मन्नार की खाड़ी में सेतुकराई तट पर रंग बदलने वाली एक दुर्लभ मछली मिली है. यह इलाका समुद्री जैवविविधता के मामले में दुनिया के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक है. केन्द्रीय समुद्री मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) के वैज्ञानिकों ने बताया कि समुद्री घास में छिपकर रहने वाली ‘‘बैंडटेल स्कॉर्पियनफिश’’ दुर्लभ प्रजाति है और यह जहरीले कांटे से लैस है एवं रंग बदलने में सक्षम है. समुद्री घास की पारिस्थितिकी का सर्वेक्षण करने के दौरान इस मछली का पता चला.
कोच्चि स्थित सीएमएफआरआई ने रविवार को जारी बयान में कहा, ‘‘पहली बार भारतीय जलसीमा में यह प्रजाति जिंदा मिली है.’’ बयान के मुताबिक यह बहुत ही दुर्लभ प्रजाति है और इसके कुछ गुण समुद्री वैज्ञानिकों का ध्यान आकर्षित करते हैं. यह रंग बदलने और शिकारियों से बचने के लिए आसपास के माहौल में छिपने में सक्षम है.
यह भी पढ़े | महाराष्ट्र में लॉकडाउन 30 जून तक बढ़ा : 31 मई 2020 की बड़ी खबरें और मुख्य समाचार LIVE.
सीएमएफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आर जयभास्करण ने कहा, ‘‘ पानी के अंदर सर्वेक्षण के दौरान इस प्रजाति को कोरल कंकाल के रूप में देखा गया. पहली नजर में यह भ्रम पैदा हुआ कि यह मछली है या कोरल कंकाल का जीवाश्म.’’ यूनेस्को के मुताबिक मन्नार की खाड़ी में 4,223 समुद्री प्रजातियों का वास है और जैव विविधता के मामले में भारत के सबसे संपन्न तटीय इलाकों में से एक है.
सेतुकराई तमिलनाडु का प्रमुख तीर्थस्थल है. माना जाता है कि भगवान राम ने लंका तक जाने के लिए सेतुकराई से ही पुल का निर्माण किया था.
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)