ताजा खबरें | राज्यसभा में मणिपुर मुद्दे पर गतिरोध कायम : विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित

नयी दिल्ली, 10 अगस्त मणिपुर हिंसा पर चर्चा को लेकर बृहस्पतिवार को भी राज्यसभा में गतिरोध दूर नहीं हो सका और हंगामे के कारण उच्च सदन की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद अपराह्न दो बजकर करीब 35 मिनट पर पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई।

उच्च सदन की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे जब शुरू हुई तो सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन को सूचित किया कि उनकी सदन में विभिन्न दलों के नेताओं के साथ बैठक हुई। उन्होंने कहा कि इसमें तीन बिंदुओं पर चर्चा की गयी... नियम 267 के तहत उठाये जाने वाले मुद्दे, नियम 176 के तहत उठाये जाने वाले मुद्दे तथा नियम 167 के तहत नोटिस।

उन्होंने कहा कि अधिकतर नेताओं का मानना था कि गतिरोध दूर करने का रास्ता निकाला जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसमें यह बात भी आयी कि सभी पक्ष मिलकर कोई ऐसी व्यवस्था करें जिससे मणिपुर हिंसा के मुद्दे पर चर्चा की जा सके। उन्होंने कहा कि वह बहुत आशान्वित हैं।

धनखड़ ने बताया कि नेता प्रतिपक्ष किसी काम में व्यस्त थे और उन्होंने बैठक में अपने दो प्रतिनिधि भेजे थे। सभापति ने उम्मीद जतायी कि चीजें सकारात्मक मोड़ लेंगी। उन्होंने उम्मीद जतायी कि सदन के नेता, नेता प्रतिपक्ष एवं अन्य दलों के नेता आपस में बैठकर कोई ऐसी व्यवस्था निकालेंगे जिससे सदन में सार्थक चर्चा हो सके और उसके माध्यम से मणिपुर के घावों पर मरहम लगाया जा सके।

उन्होंने कहा कि इस (समाधान के) बारे में उन्हें जैसे ही जानकारी मिलेगी, वह इस मामले को जल्द से जल्द आगे बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मेरे अनुसार एक बड़ी सहमति बन चुकी है। मेरी अवधारणा हो सकता है कि सही ना हो, पर कुछ मुद्दों का समाधान निकालना पड़ेगा।’’

इसके बाद तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओब्रायन ने व्यवस्था का प्रश्न आसन की अनुमति से उठाते हुए कहा कि सदन में व्यवस्था कायम की जानी चाहिए क्योंकि सरकार संसद के प्रति जवाबदेह है और संसद का उत्तरदायित्व जनता के प्रति है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार संसद को बाधित कर अपने उत्तरदायित्व से बच रही है।

सदन के नेता पीयूष गोयल ने डेरेक ओब्रायन के आरोप पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि सदन की कार्यवाही को सत्ता पक्ष नहीं, विपक्ष की ओर से बाधित किया जा रहा है।

इसके बाद सभापति ने सदन में कल आम आदमी पार्टी के सदस्य सुशील कुमार गुप्ता द्वारा टमाटर की माला पहनकर आने की घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे उन्हें बहुत पीड़ा हुई है। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में विभिन्न दलों के नेताओं से बातचीत की।

सभापति ने कहा कि उनका मत था कि आप सदस्य गुप्ता के इस आचरण के कारण उनको गंभीर नतीजे का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा ‘‘ सभी दलों के नेताओं ने मेरी क्षोभ की भावना से सहमति जताते हुए यह भी कहा कि उन्हें इस हद तक नहीं जाना चाहिए।’’

धनखड़ ने कहा कि उन्होंने पीड़ा और अनिच्छा के बावजूद नेताओं की बुद्धिमत्ता के अनुसार चलने का निर्णय किया।

इसके बाद उन्होंने नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को उनकी बात रखने का अवसर दिया। खरगे ने कहा कि मणिपुर मुद्दे पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेताओं द्वारा गतिरोध का समाधान निकालने का सभापति ने जो सुझाव दिया, वह उसका स्वागत करते हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि सत्ता पक्ष की ओर से उन्हें बोलते समय बार बार टोका जाता है।

इसके बाद खरगे ने एक शेर पढ़ा और फिर सदन में कई सदस्यों ने एक के बाद एक शेर पढ़े। इस दौरान भाजपा के सुधांशु त्रिवेदी, सभापति धनखड़, कानून मंत्री अर्जुन मेघवाल, कांग्रेस के शक्ति सिंह गोहिल ने भी शेर पढ़े।

तत्पश्चात मिजो नेशनल फ्रंट के के. वेंलेल्वना ने मणिपुर से जुड़ा मुद्दा उठाना चाहा किंतु सभापति ने उन्हें इसकी अनुमति नहीं दी।

इस बात पर सदन में हंगामा शुरू हो गया। हंगामे के बीच ही कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और अन्य निर्वाचन आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें और पदावधि) विधेयक, 2023 तथा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने डाकघर विधेयक 2023 पेश किया। हंगामे के बीच ही उच्च सदन ने ‘फार्मेसी संशोधन विधेयक, 2023’ को बिना चर्चा के पारित कर दिया। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है।

इस बीच विपक्ष के कई सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करने लगे। सदन में हंगामा थमते न देख, सभापति ने अपराह्न दो बजकर 35 मिनट पर बैठक को पूरे दिन के लिए स्थगित कर दिया।

इससे पहले आज सदन की बैठक शुरू होने पर गतिरोध कायम रहा और मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री के सदन में आने की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा किया।

विपक्षी दलों ने कार्यस्थगन प्रस्ताव (नियम 267) के तहत चर्चा आरंभ कराने की अपनी जिद से पीछे हटते हुए नियम 167 के अंतर्गत चर्चा शुरु कराने का प्रस्ताव दिया और मांग की कि प्रधानमंत्री नरेन्द मोदी सदन में मौजूद हों। हालांकि सत्ता पक्ष इसके लिए तैयार नहीं दिखा।

हंगामे के कारण सभापति ने सदन की कार्यवाही 11 बज कर करीब 35 मिनट पर अपराह्न दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)