देश की खबरें | राहुल गांधी ने मानहानि मामले में सत्र अदालत से राहत नहीं मिलने पर गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया

अहमदाबाद, 25 अप्रैल कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मंगलवार को गुजरात उच्च न्यायालय में अर्जी दायर कर सूरत की सत्र अदालत के उस आदेश को चुनौती दी जिसमें ‘‘मोदी उपनाम’’ वाली टिप्पणी को लेकर आपराधिक मानहानि के एक मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया गया था। एक वकील ने यह जानकारी दी।

कांग्रेस नेता के वकील बी एम मंगुकिया ने पुष्टि की कि राहुल गांधी (52) ने सत्र अदालत के पिछले सप्ताह के आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर की है।

संभावना है कि उच्च न्यायालय जल्द ही गांधी की अर्जी पर सुनवाई करेगा। गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक पूर्णेश मोदी द्वारा दायर 2019 के मामले में सूरत की मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अदालत ने 23 मार्च को पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 (आपराधिक मानहानि) के तहत दोषी ठहराते हुए दो साल जेल की सजा सुनाई थी।

राहुल गांधी की टिप्पणी के लिए उनके खिलाफ भाजपा विधायक की शिकायत के बाद मामला दर्ज किया गया था। कांग्रेस नेता ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी रैली में कहा था, ‘‘सभी चोरों के उपनाम मोदी क्यों हैं?’’

फैसले के बाद गांधी को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम के प्रावधानों के तहत संसद की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया था। राहुल गांधी 2019 में केरल के वायनाड से लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

बाद में, राहुल गांधी ने मजिस्ट्रेट के फैसले के खिलाफ सूरत सत्र अदालत के समक्ष एक अपील दायर की, जिसमें कहा गया कि उन्हें सुनाई गई सजा ‘‘गलत’’ है।

सत्र अदालत में दोषसिद्धि पर रोक लगाने की गांधी की अर्जी के खिलाफ दलील देते हुए पूर्णेश मोदी के वकीलों ने कहा था कि उनके मुवक्किल आहत हुए क्योंकि कांग्रेस नेता ने अपनी टिप्पणी के माध्यम से मोदी उपनाम वाले सभी लोगों को बदनाम करने की कोशिश की।

सत्र अदालत को यह भी सूचित किया गया कि राहुल गांधी ने अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगने से इनकार कर दिया था। अदालत को बताया गया कि कांग्रेस नेता देश के अन्य हिस्सों में इसी तरह के मानहानि के मुकदमों का सामना कर रहे हैं।

सूरत की सत्र अदालत ने कांग्रेस नेता को दोषी ठहराये जाने के फैसले पर रोक लगाने की उनकी अर्जी 20 अप्रैल को खारिज कर दी थी। संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराए गए गांधी ने 22 अप्रैल को नयी दिल्ली में अपना सरकारी बंगला खाली कर दिया।

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