नयी दिल्ली, 18 अक्टूबर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग का अगले सप्ताह रूस के शहर कजान में आयोजित होने वाले ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में आमना-सामना होगा. दोनों ही नेता इस सम्मेलन में भाग लेंगे. विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को बताया कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के निमंत्रण पर मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए मंगलवार से कजान की दो दिवसीय यात्रा पर जाएंगे. बीजिंग में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि शी शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.
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पिछले वर्ष अगस्त में प्रधानमंत्री मोदी और चीनी राष्ट्रपति चिनफिंग ने ब्रिक्स (ब्राजील-रूस-भारत-चीन-दक्षिण अफ्रीका) शिखर सम्मेलन से इतर जोहानिसबर्ग में एक संक्षिप्त और अनौपचारिक बातचीत की थी. भारत या चीन की ओर से हालांकि अभी तक इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
भारतीय और चीनी सैनिक चार साल से अधिक समय से पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तीखे गतिरोध में उलझे हुए हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि मोदी के कजान में ब्रिक्स सदस्य देशों के अपने समकक्षों और आमंत्रित नेताओं के साथ द्विपक्षीय बैठकें करने की भी उम्मीद है.
उम्मीद है कि प्रधानमंत्री मोदी, रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे, जिस दौरान दोनों नेता यूक्रेन में संघर्ष पर विचार-विमर्श करेंगे.
राष्ट्रपति पुतिन ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक का पिछले महीने प्रस्ताव रखा था, जब राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सेंट पीटर्सबर्ग में उनसे मुलाकात की थी.
मोदी ने जुलाई में मॉस्को का दौरा किया था और कुछ सप्ताह बाद वे यूक्रेन गए थे. यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की के साथ अपनी वार्ता में मोदी ने कहा कि यूक्रेन और रूस को बिना समय बर्बाद किए एक साथ बैठकर चल रहे युद्ध को समाप्त करना चाहिए तथा भारत क्षेत्र में शांति बहाल करने के लिए “सक्रिय भूमिका” निभाने के लिए तैयार है.
विदेश मंत्रालय ने मोदी की कजान यात्रा की घोषणा करते हुए कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन नेताओं को प्रमुख वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करेगा. सम्मेलन का विषय ‘न्यायसंगत वैश्विक विकास और सुरक्षा के लिए बहुपक्षवाद को मजबूत करना’ है. मंत्रालय ने कहा, ‘‘इस शिखर सम्मेलन में ब्रिक्स द्वारा शुरू की गई पहलों की प्रगति का आकलन किया जाएगा तथा यह भविष्य में सहयोग के लिए संभावित क्षेत्रों की पहचान करने के वास्ते एक मूल्यवान अवसर भी प्रदान करेगा.’’
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