नयी दिल्ली, 24 जनवरी विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में बीते सप्ताह निर्यात मांग की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन के भाव में सुधार हुआ। वहीं अन्य सभी सभी तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट आई।
बाजार सूत्रों ने कहा कि मूंगफली की निर्यात मांग की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। जबकि शिकॉगो एक्सचेंज में भी मंदी का रुख रहा। यहां पिछले सप्ताह सोयाबीन डीगम का भाव 1,135 डॉलर प्रति टन था जबकि अब हाजिर कारोबार में जनवरी शिपमेंट का भाव घटकर 1,065 डॉलर और फरवरी शिपमेंट का भाव 1,035 डॉलर प्रति टन रह गया है।
विदेशी बाजारों में सोयाबीन दाना के भाव आठ प्रतिशत टूटे हैं लेकिन स्थानीय कारोबार पर इसका कोई खास असर नहीं दिखा। जबकि विदेशी बाजारों में सोयाबीन तेल और खली की कीमतें भी कमजोर रही, जिसका असर यहां तेलों की कीमतों पर दिखाई दिया।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह मलेशिया में सीपीओ का बाजार टूटा और मांग कमजोर हुई है जिसकी वजह से वहां सीपीओ में गिरावट आई है। इस बात का सीधा असर स्थानीय बाजार में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला तेल कीमतों पर दिखाई दिया।
उन्होंने कहा कि कारोबारी कम दाम मिलने की वजह से मंडियों में सोयाबीन की कम उपज ला रहे हैं। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की मंडियों में ज्यादातर दागी माल आ रहा है। दूसरी ओर सोयाबीन तेल कीमतों के सस्ता होने से सरसों की मांग प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा की खुदरा बाजार में सरसों लगभग 125 रुपये किलो बिक रहा है जबकि सोयाबीन का भाव 115 रुपये किलो के लगभग है। इस स्थिति की वजह से सरसों की मांग कुछ हद तक प्रभावित हुई है।
सूत्रों ने उम्मीद जताई कि सरकार अपनी बजट घोषणाओं में देश में तिलहन उत्पादन बढ़ाने के संबंध में कोई पुख्ता उपाय करेगी।
सूत्रों ने कहा कि विदेशों में तेल-तिलहनों के दाम औंधे मुंह गिरने से स्थानीय कारोबार में असर हुआ। सोयाबीन दाना और लूज के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले 125-125 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 4,550-4,600 रुपये और 4,450-4,485 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। विदेशों में सोयाबीन तेल और खली की कीमतों में गिरावट का असर भी यहां सोयाबीन तेलों की कीमतों पर दिखा।
सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम के भाव क्रमश: 650 रुपये, 900 रुपये और 450 रुपये की हानि दर्शाते समीक्षाधीन सप्ताहांत में क्रमश: 11,550 रुपये, 11,050 रुपये और 10,450 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।
गत सप्ताहांत सरसों दाना 50 रुपये टूटकर 6,025-6,075 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 50 रुपये टूटकर 12,150 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल की कीमतें भी 10-10 रुपये की हानि दर्शाती क्रमश: 1,850-2,000 रुपये और 1,980-2,095 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।
निर्यात मांग की वजह से मूंगफली दाना सप्ताहांत में 30 रुपये सुधरकर 5,490-5,555 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल का भाव 50 रुपये सुधरकर 13,750 रुपये क्विन्टल पर पहुंच गया। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड की कीमत में भी पिछले सप्ताह के मुकाबले समीक्षाधीन सप्ताहांत में 10 रुपये प्रति टिन का सुधार आया।
मलेशिया एक्सचेंज के टूटने और वैश्विक मांग कमजोर होने से कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 300 रुपये टूटकर 9,200 रुपये, रिफाइंड पामोलिन दिल्ली का भाव 300 रुपये टूटकर 10,700 रुपये और पामोलीन कांडला (बीना जीएसटी) 200 रुपये घटकर 9,900 रुपये क्विंटल रह गया। समीक्षाधीन सप्ताहांत में बिनौला तेल भी 400 रुपये घटकर (बिना जीएसटी के) 9,900 रुपये क्विंटल रह गया।
सूत्रों ने कहा कि सरकार को आगामी बजट के प्रावधानों को इस तरह से तैयार करना चाहिये कि तेल-तिलहन उत्पादन बढ़े और इस मामले में देश आत्मनिर्भर बन सके। सरकार को सूरजमुखी दाना की पैदावार बढ़ाने के लिए भी समुचित उपाय करना चाहिये जिसकी कीमत मंडियों में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे चल रही है।
राजेश
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)