जरुरी जानकारी | एफसीआई के खुले बाजार में गेहूं की बिक्री करने से सात दिन में कीमतें 10 प्रतिशत गिरीं
Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on Information at LatestLY हिन्दी. सरकार ने शुक्रवार को कहा कि गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से खुले बाजार में इसकी बिक्री के फैसले से पिछले एक सप्ताह में गेहूं की कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
नयी दिल्ली, तीन फरवरी सरकार ने शुक्रवार को कहा कि गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के मकसद से खुले बाजार में इसकी बिक्री के फैसले से पिछले एक सप्ताह में गेहूं की कीमतों में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई है।
सरकारी उपक्रम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने इस सप्ताह आयोजित ई-नीलामी के पहले दो दिन में अबतक थोक उपयोगकर्ताओं को 2,474 रुपये प्रति क्विंटल की औसत दर से 9. 2 लाख टन गेहूं बेचा है।
हाल ही में, केंद्र ने मुक्त बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के जरिये खुले बाजार में बफर स्टॉक से 30 लाख टन गेहूं बेचने का फैसला किया था।
इसमें से 25 लाख टन थोक उपभोक्ताओं मसलन आटा मिलों को, तीन लाख टन नेफेड जैसी संस्थाओं को और शेष दो लाख टन राज्य सरकारों को बेचा जाएगा।
खाद्य मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘ई-नीलामी ने पहले ही पिछले एक सप्ताह में गेहूं के बाजार मूल्य में 10 प्रतिशत से अधिक की गिरावट का असर डाला है।’’
ई-नीलामी में बेचे जाने वाले गेहूं के उठाव और बाजार में गेहूं का आटा (आटा) उपलब्ध कराने के बाद कीमतों में और गिरावट आना तय है।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, दो फरवरी को गेहूं का औसत अखिल भारतीय खुदरा मूल्य 33.47 रुपये प्रति किलोग्राम था और गेहूं के आटे की कीमत 38.1 रुपये प्रति किलोग्राम थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि वर्ष 2022 में इसी तारीख को, गेहूं और गेहूं के आटे का औसत खुदरा मूल्य क्रमशः 28.11 रुपये प्रति किलोग्राम और 31.14 रुपये प्रति किलोग्राम था।
एफसीआई ने पहले ही देशभर में थोक उपयोगकर्ताओं को 25 लाख टन गेहूं की बिक्री शुरू कर दी है। बयान में कहा गया है कि इसने 1-2 फरवरी को ई-नीलामी के जरिए 2,474 रुपये प्रति क्विंटल की औसत दर से 9.2 लाख टन गेहूं बेचा है, जिससे 2,290 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।
23 राज्यों में हुई ई-नीलामी में 1,150 से अधिक बोलीदाताओं ने भाग लिया। तकनीकी खराबी के कारण राजस्थान में ई-नीलामी दो फरवरी को हुई थी।
एफसीआई की योजना 15 मार्च तक गेहूं की बिक्री के लिए प्रत्येक बुधवार को साप्ताहिक ई-नीलामी आयोजित करने की है।
सरकार ने कहा कि छोटी और मझोली आटा मिलों और व्यापारियों ने नीलामी में सक्रिय रूप से भाग लिया क्योंकि 100 से 499 टन की सीमा में अधिक मांग थी, इसके बाद 500-1000 टन और 50-100 टन की सीमा में मांग थी।
एक बार में 3,000 टन की अधिक मात्रा के लिए केवल 27 बोलियां प्राप्त हुईं।
इस बीच, एफसीआई ने केंद्रीय भंडार, नेफेड और एनसीसीएफ जैसे संस्थानों को 2.5 लाख टन गेहूं आवंटित किया है, ताकि अनाज को आटे में बदला जा सके और अधिकतम खुदरा मूल्य 29.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा सके।
केंद्रीय भंडार ने पहले से ही कम दर पर गेहूं का आटा बेचना शुरू कर दिया है और सहकारी संस्था नेफेड जल्द ही आठ राज्यों में उसी दर पर बिक्री शुरू करेगी।
घरेलू उत्पादन में गिरावट के बाद आपूर्ति घटने से देश में गेहूं और गेहूं के आटे की कीमतों में मजबूती आई है।
ओएमएसएस नीति के तहत, सरकार एफसीआई को थोक उपभोक्ताओं और निजी व्यापारियों को समय-समय पर खुले बाजार में पूर्व निर्धारित कीमतों पर खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं और चावल बेचने की अनुमति देती है। इसका उद्देश्य अनाज का मौसम नहीं होने पर आपूर्ति को बढ़ावा देना और सामान्य खुले बाजार की कीमतों को कम करना है।
केंद्र ने घरेलू उत्पादन में मामूली गिरावट और केंद्रीय पूल के लिए एफसीआई की खरीद में तेज गिरावट के बाद बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने के लिए पिछले साल मई में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
भारत का गेहूं उत्पादन फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) में पिछले वर्ष के 10 करोड़ 95.9 लाख टन से घटकर 10 करोड़ 68.4 लाख टन रह गया, जो कुछ उत्पादक राज्यों में गर्मी की लू चलने के कारण हुआ।
पिछले साल के लगभग 4.3 करोड़ टन की खरीद के मुकाबले इस साल खरीद तेज गिरावट के साथ 1.9 करोड़ टन रह गई।
चालू रबी (सर्दियों में बोई जाने वाली) सत्र में गेहूं की फसल का रकबा थोड़ा अधिक है। नई गेहूं की फसल की खरीद 15 मार्च से शुरू होगी।
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