मुंबई, 27 जनवरी राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय से एल्गार-परिषद माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कवि-कार्यकर्ता वरवर राव द्वारा चिकित्सा आधार पर दाखिल जमानत याचिका को खारिज करने का बुधवार को अनुरोध किया।
एजेंसी ने कहा है कि उनकी (राव) वर्तमान हालत स्थिर है।
एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने अदालत को नानावती अस्पताल से इस महीने के शुरू में आई राव की चिकित्सा रिपोर्टों के बारे में याद दिलाया जिनमें कहा गया है कि उनकी हालत स्थिर है और उन्हें अस्पताल से छुट्टी दी जा सकती है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने पिछले सप्ताह उच्च न्यायालय के समक्ष एक बयान दिया था जिसमें कहा गया था कि राव (81) को निजी अस्पताल से छुट्टी दिये जाने के बाद नवी मुंबई में तलोजा जेल वापस नहीं भेजा जायेगा बल्कि उन्हें यहां सरकारी जेजे अस्पताल के वार्ड में भर्ती कराया जायेगा और उन्हें उचित चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जायेगी।
सिंह ने कहा, ‘‘उनकी (राव) चिकित्सा रिपोर्टों..., उनकी वर्तमान स्थिति स्थिर है... और राज्य सरकार ने इन याचिकाओं में किये गये सभी अनुरोधों का ध्यान रखा है।’’
उन्होंने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति मनीष पिटाले की एक पीठ को बताया, ‘‘इसलिए उन्हें जमानत देने का सवाल तभी उठता है, जब अदालत को इस बात का भरोसा नहीं हो कि क्या जेजे अस्पताल उन्हें उचित चिकित्सा सुविधा प्रदान कर सकेगा।’’
पीठ तीन याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी। एक रिट याचिका में राव का पूर्ण चिकित्सा रिकॉर्ड दिये जाने का अनुरोध किया गया है और राव द्वारा चिकित्सा आधार पर जमानत याचिका दाखिल की गई है। तीसरी याचिका राव की पत्नी हेमलता ने दाखिल की है और इस याचिका में चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण उनके मौलिक अधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है।
राव इस समय मुंबई के नानावती अस्पताल में भर्ती हैं।
राव के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने दलील दी कि जेजे अस्पताल या किसी अन्य अस्पताल में संक्रमण की आशंका है और बीमार राव को वहां नहीं भेजा जाना चाहिए।
इसके बाद उच्च न्यायालय ने नानावती अस्पताल को राव की स्वास्थ्य स्थिति को लेकर बृहस्पतिवार की सुबह तक एक नई चिकित्सा रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिये।
यह मामला 31 दिसम्बर, 2017 को पुणे में आयोजित हुए एल्गार परिषद के सम्मेलन में कथित भड़काऊ भाषणों से जुड़ा है। पुलिस का दावा है कि अगले दिन कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के निकट हिंसा भड़क गई थी।
पुलिस का दावा है कि यह सम्मेलन उन लोगों द्वारा आयोजित किया गया था जिनके माओवादियों से कथित तौर पर संबंध है।
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