भारत में स्वास्थ्य सेवाओं के राष्ट्रीयकरण के लिये न्यायालय में याचिका

यह याचिका एक स्थानीय अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि भारत में इस महामारी से निबटने के लिये जन स्वास्थ सेवाओं की समुचित व्यवस्था का अभाव है।

नयी दिल्ली, नौ अप्रैल देश में कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगने तक देश में सारी स्वास्थ्य सुविधाओं और उनसे संबंधित इकाईयों का राष्ट्रीकरण करने के लिये उच्चतम न्यायालय में एक जनहित याचिका दायर की गयी है।

यह याचिका एक स्थानीय अधिवक्ता अमित द्विवेदी ने दायर की है। याचिका में दावा किया गया है कि भारत में इस महामारी से निबटने के लिये जन स्वास्थ सेवाओं की समुचित व्यवस्था का अभाव है।

याचिका में केन्द्र और सभी राज्य सरकारों को सारी स्वास्थ्य सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण करने और सारी स्वास्थ्य सेवाओं, संस्थाओं, कंपनियों और उनसे संबद्ध इकाईयों को महामारी से संबंधित जांच और उपचार मुफ्त में करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

शीर्ष अदालत ने बुधवार को ही सभी निजी प्रयोगशालाओं को कोविड-19 संक्रमण की जांच नि:शुल्क करने का निर्देश देते हुये टिप्पणी की थी कि राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में उन्हें उदार होने की जरूरत है। आईसीएमआर के एक परामर्श के तहत निजी अस्पतालों और निजी प्रयोगशालाओं ने कोविड-19 की जांच के लिये 4,500 रूपए कीमत रखी थी।

इस याचिका में कहा गया है कि भारत में कम बजट के आबंटन की वजह से सार्वजनिक स्वास्थ्य का क्षेत्र हमेशा ही खस्ताहाल रहा है लेकिन इसी दौरान निजी क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं का जबर्दस्त विकास हुआ है। याचिका के अनुसार कोविड-19 जैसी महामारी से निबटने के लिये भारत के पास पर्याप्त सार्वजनिक स्वास्थ सुविधायें नहीं है और अंतत: भारत को इस मामले में निजी क्षेत्र की मदद लेने की आवश्यकता होगी।

याचिका में कहा गया है कि दुनिया भर में कोविड-19 महामारी पर अंकुश लगने तक स्वास्थ सुविधाओं का राष्ट्रीयकरण किया जा चुका है।

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