देश की खबरें | सार्वजनिक स्थानों, सरकारी दफ्तरों में संविधान की प्रस्तावना के प्रदर्शन की मांग संबंधी याचिका खारिज

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संविधान की प्रस्तावना को स्थानीय भाषाओं में सार्वजनिक स्थानों और सरकारी कार्यालयों में बंधुत्व की भावना को बढ़ाने के लिए प्रदर्शित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

नयी दिल्ली, 30 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को संविधान की प्रस्तावना को स्थानीय ओं में सार्वजनिक स्थानों और सरकारी कार्यालयों में बंधुत्व की भावना को बढ़ाने के लिए प्रदर्शित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

न्यायालय ने कहा कि ऐसा सरकार को करना है। शीर्ष अदालत ने कहा कि कुछ तो सरकार पर छोड़ दिया जाना चाहिए कि इस पर कैसे अमल किया जाए।

न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति ए एस ओका की पीठ ने महाराष्ट्र निवासी याचिकाकर्ता को बताया, “कुछ लोग वास्तव में उद्यमी होते हैं। निर्वाचित हो जाइए और यह कीजिए। यह जगह इसके लिए नहीं है।”

पीठ ने कहा, “अगर हम इसमें उतरें....प्रस्तावना कहां प्रदर्शित की जाएगी, कहां संविधान का प्रदर्शन होगा। यह हमारा काम नहीं है।”

याचिकाकर्ता जेड. ए. एन. पीरजादे की तरफ से पेश हुए वकील से पीठ ने कहा कि या तो आप याचिका वापस ले लें या अदालत उसे खारिज कर देगी।

वकील ने कहा कि वह याचिका वापस ले लेंगे।

याचिका अधिवक्ता एम.आर. शाह के जरिये दायर की गई थी। याचिका में सार्वजनिक स्थानों और सरकारी कार्यालयों में स्थानीय नागरिकों द्वारा समझी जाने वाली ओं में भाईचारे की भावना और स्वतंत्रता, समानता और धर्मनिरपेक्षता के विचारों को बढ़ाने के लिए प्रस्तावना की सामग्री प्रदर्शित करने का अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की गई थी।

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