नयी दिल्ली, 22 सितंबर विमानन कंपनी अकासा एयर ने शुक्रवार को कहा कि उसने दिल्ली उच्च न्यायालय से कुछ पायलटों के बिना पूर्व सूचना दिए नौकरी छोड़कर जाने के मामले में हस्तक्षेप करने और अनिवार्य ‘नोटिस पीरियड’ (कंपनी छोड़ने से निर्धारित समय से पहले सूचित करना) संबंधी जरूरतों को लेकर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है। एयरलाइन पायलटों के अचानक से कंपनी छोड़ने से समस्याओं का सामान कर रही है।
कंपनी ने कहा कि यह कदम डीजीसीए या नागर विमानन मंत्रालय के खिलाफ नहीं है।
पिछले साल अगस्त में उड़ान शुरू करने वाली अकासा एयर ने ऐसे कुछ पायलटों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू की है, जिन्होंने बिना नोटिस पीरियड का पालन किए कंपनी छोड़ दी। इस कारण कंपनी को अपनी कई उड़ानें रद्द करनी पड़ी थीं।
एयरलाइन ने बयान में कहा कि उसने इन पायलटों के ‘अनैतिक और अवैध कार्य’ को रोकने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय से आग्रह किया है।
बयान के अनुसार, “हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह डीजीसीए (नागर विमानन महानिदेशालय) या नागर विमानन मंत्रालय के खिलाफ मामला नहीं है। यह याचिका पायलटों के अनिवार्य नोटिस अवधि आवश्यकताओं से संबंधित 2018 में उसी मामले पर उसी अदालत द्वारा जारी अंतरिम आदेश की तत्काल व्याख्या और स्थिति स्पष्ट करने को लेकर है।’’
एयरलाइन के अनुसार कार्यवाही की शुरुआत के बाद से अदालत में उसकी दलील रही है कि उसका कदम केवल मौजूदा अंतरिम आदेश और नागरिक विमानन नियमन को लागू करने के लिए स्पष्टीकरण और निर्देश देने के अनुरोध को लेकर है।
बयान में कहा गया है कि अकासा एयर डीजीसीए और मंत्रालय की पारदर्शी और प्रगतिशील नीतियों तथा नियमों का प्रत्यक्ष लाभार्थी रहा है।
एयरलाइन के अनुसार, कुछ पायलटों ने अपनी ड्यूटी छोड़ दी और अपनी अनिवार्य संविदात्मक नोटिस अवधि को पूरा किए बिना संगठन छोड़ दिया, इसलिए जुलाई और सितंबर 2023 के बीच उड़ानें बाधित हुईं।
एयरलाइन ने बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है और उन पायलटों के खिलाफ रोक लगाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह किया है, जिन्होंने छह महीने की अनिवार्य नोटिस अवधि पूरी किए बिना अचानक इस्तीफा दे दिया और अपने पद छोड़ दिया।
अकासा एयर के बेड़े में 20 विमान हैं।
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