‘‘धार्मिक टैटू’’ होने के कारण केन्द्रीय बलों के लिए अनुपयुक्त पाये गये व्यक्ति ने अदालत का रुख किया
दाहिने हाथ पर ‘‘धार्मिक टैटू’’ बने होने पर केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और अन्य बलों में भर्ती के लिए अनुपयुक्त घोषित किये जाने पर एक व्यक्ति ने अधिकारियों के इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है.
नयी दिल्ली, 11 नवंबर : दाहिने हाथ पर ‘‘धार्मिक टैटू’’ बने होने पर केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) और अन्य बलों में भर्ती के लिए अनुपयुक्त घोषित किये जाने पर एक व्यक्ति ने अधिकारियों के इस फैसले को दिल्ली उच्च न्यायालय में चुनौती दी है. अधिकारियों के वकील ने यह कहते हुए याचिका का विरोध किया कि दाहिने हाथ से सलामी दी जाती है और यह टैटू गृह मंत्रालय के प्रासंगिक दिशानिर्देशों के तहत मान्य नहीं है. याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा था कि वह एक छोटी सी लेजर सर्जरी द्वारा टैटू को हटाने के लिए तैयार है.
अदालत ने विस्तृत चिकित्सा जांच पर गौर किया और समीक्षा चिकित्सा जांच से पता चला कि उसमें कोई अन्य दोष नहीं पाया गया था. अदालत ने उस व्यक्ति को टैटू हटाने के बाद अधिकारियों द्वारा गठित नए मेडिकल बोर्ड के समक्ष पेश होने की छूट देते हुए याचिका का निपटारा कर दिया. न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘यदि उक्त मेडिकल बोर्ड द्वारा याचिकाकर्ता को योग्य पाया जाता है, तो प्रतिवादी कानून के अनुसार पद के लिए याचिकाकर्ता के चयन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाएंगे.’’ यह भी पढ़ें : एचसीएल-एसआरएफआई इंडिया टूर का दूसरा चरण जोधपुर में
याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि वह असम राइफल्स परीक्षा 2021 में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, एनआईए, एसएसएफ और राइफलमैन जीडी में कांस्टेबल (सामान्य ड्यूटी) के पद के लिए 28 सितंबर को हुई विस्तृत चिकित्सा जांच और उसके बाद 29 सितंबर को हुई समीक्षा चिकित्सा जांच में अयोग्य पाया गया था. याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि उसे इस आधार पर अयोग्य पाया गया था कि उसके दाहिने हाथ पर धार्मिक टैटू बना हुआ था. याचिकाकर्ता ने दोनों परीक्षाओं के परिणामों को रद्द करने और उन्हें इस पद पर नियुक्त करने का अनुरोध किया था.