जरुरी जानकारी | बीते सप्ताह मूंगफली में गिरावट, अन्य तेल-तिलहनों की कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 11 फरवरी विदेशों में सोयाबीन डीगम तेल और कच्चे पामतेल (सीपीओ) के दाम मजबूत होने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में अधिकांश तेल-तिलहनों की कीमतों में उछाल आया। सस्ते आयातित खाद्य तेलों के दबाव में मंहगे दाम पर ग्राहकी कम रहने से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट रही।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि बीते सप्ताह 890-895 डॉलर प्रति टन वाले सोयाबीन डीगम तेल का दाम अब 915-920 डॉलर प्रति टन हो गया है, जबकि 905-910 डॉलर प्रति टन वाले सीपीओ तेल का दाम अब 940-945 डॉलर प्रति टन हो गया है। इस वजह से समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन तेल-तिलहन के अलावा सीपीओ और पामोलीन तेल के दाम में मजबूती आई है।

उन्होंने कहा कि देश में घरेलू सोयाबीन तिलहन खप नहीं रहा है और इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) भी नहीं मिल रहा है। ऐसे में सरकार को विदेशों से आयात किये जाने वाले सोयाबीन तिलहन के आयात को रोकने की ओर ध्यान देना होगा और यह घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लक्ष्य की दिशा में कदम होगा।

सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह में सरसों और सोयाबीन तेल-तिलहन के दाम में जो सुधार दिखा है, वह स्थायी प्रकृति का नहीं है। मौसम खुलने के साथ बाजार में सरसों की आवक बढ़ेगी और अभी इसके दाम और टूटने के आसार हैं। फिलहाल जो तेजी है, वह सरकार के द्वारा एमएसपी पर सरसों खरीदने संबंधी बयान की वजह से है।

सूत्रों ने कहा कि सस्ते आयातित तेलों के थोक दाम काफी नीचा होने के बीच ऊंची लागत वाला मूंगफली तेल-तिलहन चल नहीं पा रहा है। मंडियों में यह एमएसपी से काफी नीचे दाम पर बिक रहा है। मिल वालों को पेराई के बाद इस तेल को खपाने की मुश्किल आ रही है। मौजूदा समय में जो हाल मूंगफली का है, उससे यह अंदेशा होता है कि कहीं इसका भी हाल सूरजमुखी जैसा न हो जाये। सूरजमुखी का एमएसपी वर्ष 2023 में 6,700 रुपये क्विंटल होने के बाद भी वर्ष 1996-1997 के स्तर के मुकाबले इसकी खेती घटकर 5-7 प्रतिशत रह गई है। कहीं यही हाल मूंगफली का न हो। किसानों की उपज बिक जाने के 2-3 महीने बाद अगर मूंगफली तेल का दाम बढ़ भी जाये तो इससे किसानों को क्या फायदा होने वाला है?

सरकार एमएसपी पर कुछेक लाख टन उपज खरीद भी ले और इस तेल का बाजार न हो तो आखिर यह खपेगा कहां?

उन्होंने कहा कि यही हाल सरसों का है। इस वर्ष लगभग 125 लाख टन की उपज है। पिछले साल का सरसों का 25 लाख टन का स्टॉक बचा हुआ है। इस 150 लाख टन में से सरकार 25 की जगह 30 लाख टन सरसों खरीद भी ले तो क्या 150 लाख टन सरसों उगाने वाले किसानों को उनके यथोचित दाम मिल जायेंगे?

सूत्रों ने कहा कि यह जिम्मेदारी तेल संगठनों की बनती है। देशी सूरजमुखी फसल जिसकी खेती अब 5-7 प्रतिशत रह गई है, उसका दाम एमएसपी से 25-30 प्रतिशत नीचे है। सरसों, सोयाबीन, मूंगफली आदि तेलों के भी दाम एमएसपी से नीचे हैं। तेल संगठनों को बताना चाहिये कि जबतक इन तेलों का बाजार नहीं विकसित होता तो ‘उत्पादन बढ़ाना’ महज नारा न बन जाये जो धरातल पर न उतरे। इन संगठनों को सरकार को वस्तुस्थिति के बारे में बताना चाहिये क्योंकि केवल हां में हां मिलाना उनका काम नहीं हो सकता। संभवत: उनके इसी उदासीन रवैये की वजह से तेल-तिलहन उद्योग आज संकट में है।

उन्होंने कहा कि सरकार कमजोर आयवर्ग के लोगों के हितों की रक्षा के उद्देश्य से खाद्यतेलों की सस्ती आपूर्ति के लिए पहले की तरह राशन की दुकानों से खाद्य तेल वितरण का रास्ता अपना सकती है। तेल संगठनों को यह सुझाव सरकार को देना चाहिये।

सूत्रों ने कहा कि कपास की फसल भी एमएसपी से नीचे बिक रही है। किसानों का माल सस्ते दाम पर लेने के लिए कुछ लोगों ‘सिंडिकेट’ बनाकर वायदा कारोबार में बिनौला खल का दाम दिसंबर से 20-25 प्रतिशत तोड़ दिया है। ऐसे लोगों पर अंकुश लगाने की जरुरत है।

पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 5,400-5,450 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 150 रुपये बढ़कर 9,800 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 25-25 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,675-1,775 रुपये और 1,675-1,780 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।

समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 85-85 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,700-4,730 रुपये प्रति क्विंटल और 4,510-4,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 275 रुपये, 250 रुपये और 250 रुपये के बढ़त के साथ क्रमश: 9,750 रुपये और 9,500 रुपये और 8,150 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

आयातित तेलों के थोक दाम टूटे होने के बीच ऊंचे दाम पर मांग प्रभावित होने की वजह से मूंगफली तेल-तिलहन कीमतों में गिरावट देखी गई। समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 200 रुपये की गिरावट के साथ 6,150-6,225 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 500 रुपये और 80 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 14,500 रुपये क्विंटल और 2,165-2,440 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।

विदेशों में सीपीओ के दाम बढ़ने के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 275 रुपये की मजबूती के साथ 8,200 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 370 रुपये के बढ़त के साथ 9,350 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 370 रुपये की तेजी के साथ 8,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

सुधार के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 75 रुपये बढ़कर 8,275 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।

राजेश

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