देश की खबरें | दिव्यांग बच्चों को विद्यालयों में प्रवेश नहीं मिलने से दिक्कतों का सामना करते हैं अभिभावक

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. तीन दिसंबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस से पहले कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि उनके बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल रही, क्योंकि दिव्यांग छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश देने से मना किया जाता है।

नयी दिल्ली, दो दिसम्बर तीन दिसंबर को मनाए जाने वाले अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस से पहले कई अभिभावकों ने शिकायत की है कि उनके बच्चों को उचित शिक्षा नहीं मिल रही, क्योंकि दिव्यांग छात्रों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश देने से मना किया जाता है।

वर्ष 2023 में ‘मिसेज इंडिया यूनिवर्स’ का खिताब जीतने वाली माधुरी पाटले की अपने बेटे की शिक्षा की उम्मीदें दो बार धराशायी हो गईं, क्योंकि उन्हें स्थानीय स्कूल से अस्वीकृति पत्र मिला। उनका तीन साल का बच्चा ड्यूचेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी (डीएमडी) से पीड़ित है।

पाटले ने कहा, ‘‘मेरा बच्चा सामान्य प्री-स्कूलिंग कर रहा था और वहां उसके साथ कोई समस्या नहीं थी। मैं अपने बच्चे को स्कूल में दाखिला दिलाने की कोशिश कर रही हूं ताकि उसे उचित शिक्षण माहौल का लाभ मिल सके।’’

उन्होंने कहा कि आम तौर पर ‘एपलेप्सी’ या डीएमडी से पीड़ित बच्चे नियमित स्कूल जाते हैं। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच बनाने में दिव्यांग बच्चों के सामने आने वाली बाधाओं के बारे में चिंता जताते हुए सवाल किया, ‘‘उन्हें किस तरह की सुविधाओं की कमी है?’’

गीतिका आनंद और उनके परिवार ने भी इसी तरह की दिक्कत का सामना किया। नौकरी के लिए जयपुर जाने के बाद, उन्हें जल्द ही पता चला कि उनके बच्चे को डीएमडी है, जिसके कारण उन्हें विशेष जरूरतों को पूरा करने के लिए सुसज्जित विद्यालयों की तलाश करनी पड़ी। अपने बच्चे को अच्छे स्कूल में दाखिला दिलाने के लिए महीनों तक कोशिश करने के बाद, आवेदन खारिज कर दिए गए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपनी नौकरी छोड़कर दिल्ली वापस जाना पड़ा। हम चाहते थे कि हमारे बच्चे को ऐसे माहौल में पढ़ाया जाए जो उसकी जरूरतों को समझे, लेकिन हमें कोई विकल्प नहीं मिला।’’

पंद्रह वर्षीय लड़के के पिता विनय ने कहा, ‘‘मेरे बच्चे ने कक्षा 8 तक घर पर ही पढ़ायी की, लेकिन मैं चाहता था कि उसे उच्च कक्षाओं के लिए उचित स्कूली माहौल मिले। दुर्भाग्य से, कई स्कूल ने उसकी सहायता करने के लिए सुविधाओं की कमी का हवाला देते हुए उसका दाखिला अस्वीकार कर दिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘उसका बेकार बैठे रहना, नहीं सीख पाना या साथियों के साथ बातचीत नहीं कर पाना निराशाजनक है।’’

इस बीच, वसंत कुंज में ऑटिस्टिक छात्रों के लिए एक स्कूल ने डीएमडी से पीड़ित बच्चों को समायोजित करने में आने वाली चुनौतियों को साझा किया। स्कूल ने कहा कि डीएमडी से पीड़ित बच्चे में अत्यधिक नाजुकता, गिरने की प्रवृत्ति होती है, जिसके लिए अकादमिक और क्लीनिकल ​​सत्र, दैनिक जीवन की गतिविधियों (एडीएल) का प्रशिक्षण और भोजन के समय सहायता सहित व्यक्तिगत देखभाल की आवश्यकता होती है।

स्कूल ने कहा, "हमारा विद्यालय डीएमडी से पीड़ित बच्चे की सहायक देखभाल की जरूरतों को पूरा करने के लिए विकसित नहीं है।’’

अमित रंजन

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