खेल की खबरें | पैरा बैडमिंटन खिलाड़ी कुमार नितेश ने पैरालंपिक में स्वर्ण पदक जीता

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पेरिस, दो सितंबर भारत के कुमार नितेश ने सोमवार को यहां पुरुष एकल एसएल3 बैडमिंटन फाइनल में कड़े मुकाबले में ग्रेट ब्रिटेन के डेनियल बेथेल को हराकर पैरालंपिक में पहली बार स्वर्ण पदक जीता।

हरियाणा के 29 साल के नितेश ने अपने मजबूत डिफेंस और सही शॉट चयन की मदद से तोक्यो पैरालंपिक के रजत पदक विजेता बेथेल को एक घंटे और 20 मिनट चले मुकाबले में 21-14 18-21 23-21 से हराया।

नितेश ने मैच के बाद कहा, ‘‘मुझे अब भी कुछ अहसास नहीं हो रहा। शायद जब मैं पोडियम पर जाऊंगा और राष्ट्रगान बजेगा तो इस भावना का सामना कर पाऊंगा।’’

एसएल3 वर्ग के खिलाड़ियों के शरीर के निचले हिस्से में अधिक गंभीर विकार होता है और वह आधी चौड़ाई वाले कोर्ट पर खेलते हैं।

जब नितेश 15 वर्ष के थे तब उन्होंने 2009 में विशाखापत्तनम में एक रेल दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया था लेकिन वह इस सदमे से उबर गए और पैरा बैडमिंटन को अपनाया।

नितेश की यह जीत सिर्फ निजी उपलब्धि नहीं है बल्कि इस जीत के साथ एसएल3 वर्ग का स्वर्ण पदक भारत के पास बरकरार रहा। तोक्यो में तीन साल पहले जब पैरा बैडमिंटन ने पदार्पण किया था तो प्रमोद भगत ने इस स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीता था।

आईआईटी मंडी से स्नातक नितेश ने इससे पहले बेथेल के खिलाफ सभी नौ मैच गंवाए थे और उन्होंने सोमवार को ग्रेट ब्रिटेन के खिलाड़ी के खिलाफ पहली जीत दर्ज की।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने इस तरह से नहीं सोचा था। मेरे दिमाग में विचार आ रहे थे कि मैं कैसे जीतूंगा। लेकिन मैं यह नहीं सोच रहा था कि जीतने के बाद मैं क्या करूंगा।’’

फाइनल मुकाबला धीरज और कौशल का परीक्षण था जिसमें दोनों खिलाड़ियों ने बहुत ही कठिन रैलियां खेली। शुरुआती गेम में लगभग तीन मिनट की 122 शॉट् की रैली भी थी।

नितेश ने अपने रिवर्स हिट, ड्रॉप शॉट और नेट पर शानदार खेल से बेथेल को पूरे मैच में परेशान किया।

शुरुआती गेम में नितेश एक समय 6-9 से पीछे थे लेकिन अपने मजबूत डिफेंस की बदौलत वापसी करने में सफल रहे और ब्रेक के समय 11-9 से आगे थे। उन्होंने इसके बाद 18-14 की बढ़त बनाई और बेथेल के शॉट बाहर मारने पर गेम जीत लिया।

भारतीय खिलाड़ी दूसरे गेम में 14-12 से आगे था और सीधे गेम में जीत दर्ज कर सकता था लेकिन बेथेल ने वापसी करते हुए मुकाबले को तीसरे और निर्णायक गेम में खींच दिया।

तीसरे और निर्णायक गेम दोनों खिलाड़ियों के बीच प्रत्येक अंक के लिए कड़ा मुकाबला देखने को मिला। दोनों खिलाड़ी 8-8 के स्कोर से 19-19 तक पहुंचे। भारतीय खिलाड़ी को 20-19 के स्कोर पर पहला चैंपियनशिप प्वाइंट मिला लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाया।

बेथेल को भी 21-20 के स्कोर पर चैंपियनशिप प्वाइंट मिला लेकिन वह भी शॉट नेट पर मार बैठे। नितेश ने इसके बाद दूसरे चैंपियनशिप प्वाइंट पर बेथेल के शॉट बाहर मारने पर स्वर्ण पदक जीता।

नितेश ने कहा, ‘‘मैंने उसके खिलाफ ऐसी परिस्थितियों में हार का सामना किया है और मैं वही गलतियां दोहराना नहीं चाहता था। मैंने पहले भी अपना संयम खो दिया था इसलिए मैंने खुद से कहा कि मुझे हर अंक के लिए संघर्ष करते रहना चाहिए। निर्णायक गेम में 19-20 के स्कोर पर भी मैंने खुद से कहा कि मैं डटा रहूं और उसे अंक के लिए मेहनत करने दूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आमतौर पर इतने धैर्य के साथ नहीं खेलता और अपने स्ट्रोक पर भरोसा करता हूं। लेकिन जब मैंने यहां पहले गेम में शुरुआत की तो मैंने योजना बनाई कि मुझे सहज होने के लिए पहले कुछ अंक अच्छी तरह खेलने होंगे। फिर मैं अपने स्ट्रोक खेल सकता हूं और मैं देख सकता था कि वह हताश था। लेकिन परिस्थितियों के कारण मैंने बहुत अधिक विविधता नहीं आजमाई, बस स्थिर खेल खेलने की कोशिश की।’’

नितेश के लिए यह जीत वर्षों की कड़ी मेहनत और दृढ़ता का परिणाम था। दुर्घटना के बाद बिस्तर पर पड़े रहने से लेकर पैरालंपिक पोडियम पर शीर्ष पर खड़े होने तक का सफर उनके अदम्य साहस का प्रमाण है।

नौसेना अधिकारी के बेटे नितेश ने कभी अपने पिता के नक्शेकदम पर चलते हुए रक्षा बलों में शामिल होने का सपना देखा था। हालांकि दुर्घटना ने उन सपनों को चकनाचूर कर दिया।

नितेश ने फरीदाबाद में 2016 के राष्ट्रीय खेलों में पैरा बैडमिंटन में पदार्पण किया जहां उन्होंने कांस्य पदक जीता। वैश्विक स्तर पर भी उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने 2022 में एशियाई पैरा खेलों में एकल में रजत सहित तीन पदक जीते।

इससे पहले शिवराजन सोलाईमलई और नित्या श्री सुमति सिवन की दूसरी वरीय भारतीय जोड़ी को मिश्रित युगल एसएच6 स्पर्धा के कांस्य पदक प्ले ऑफ में सुभान और रीना मार्लिना की इंडोनेशिया की जोड़ी के खिलाफ 17- 21 12-21 से हार का सामना करना पड़ा।

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