पालघर मॉब लिंचिंग: हाईकोर्ट ने पुलिसकर्मियों के खिलाफ न्यायिक जांच के लिए नई याचिका की खारिज
पालघर मामला (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली, 17 जुलाई:  उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के पालघर जिले में अप्रैल में दो साधुओं समेत तीन व्यक्तियों की कथित पीट-पीटकर हत्या के मामले में न्यायिक जांच और पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली एक नई याचिका पर विचार करने से शुक्रवार को इनकार कर दिया. न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम.आर. शाह की पीठ ने कहा कि, "इस मामले का अदालत पहले ही स्वत: संज्ञान ले चुकी है. याचिकाओं को एक-एक करके बढ़ाने का कोई औचित्य नहीं है."

याचिकाकर्ता जय कृष्ण सिंह ने कहा कि उनकी याचिका में देश में हाल में हुई न्यायेतर हत्या की घटनाओं को लेकर चिंता व्यक्त की गई है, हालांकि याचिका दायर करने की वजह पालघर की घटना है. सिंह ने पालघर की घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था. याचिका में उस पुलिसकर्मी के खिलाफ भी कार्रवाई का अनुरोध किया गया था जो टीवी फुटेज में 70 वर्षीय साधु को अपने पास से हटाता हुआ दिख रहा है.

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उन्होंने तीन व्यक्तियों की हत्या की इस घटना की न्यायिक जांच शीर्ष न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश अथवा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में करवाने का निर्देश देने की मांग की. इसके अलावा याचिका में पुलिस अधिकारियों समेत आरोपियों के खिलाफ मामले पर मासिक तौर पर निगरानी रखने के लिए भी न्यायिक समिति के गठन की मांग की ताकि इस मामले में जल्द से जल्द न्याय हो सके.

इससे पहले, 11 जून को इस घटना की सीबीआई एवं एनआईए से अलग-अलग जांच करवाने की मांग करने वाली दो याचिकाओं पर शीर्ष अदालत ने महाराष्ट्र सरकार से जवाब मांग था. शीर्ष अदालत ‘श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा’ के साधुओं की ओर से दायर याचिका और मारे गए साधुओं के संबंधियों की याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गई है. उनकी याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य पुलिस की जांच पक्षपातपूर्ण तरीके से की जा रही है.

घटना की एनआईए से जांच संबंधी याचिका घनश्याम उपाध्याय नाम के व्यक्ति ने दायर की है. घटना 16 अप्रेल की रात की है जब तीनों व्यक्ति मुंबई के कांदीवली से गुजरात के सूरत में एक अंत्येष्टि में शामिल होने जा रहे थे. तभी भीड़ ने गढ़चिंचले गांव के निकट उनकी कार को रोक और पुलिस की मौजूदगी में उन पर हमला किया और उन्हें मार डाला.

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