इस्लामाबाद, 19 अप्रैल पाकिस्तान के रक्षा और निर्वाचन अधिकारियों ने सुरक्षा तथा वित्तीय कारणों का हवाला देते हुए उच्चतम न्यायालय से राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण पंजाब प्रांत में 14 मई को चुनाव कराने के अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है।
प्रधान न्यायाधीश उमर अता बांदियाल के नेतृत्व में अदालत की तीन सदस्यीय पीठ ने चार अप्रैल को फैसला सुनाया था कि सबसे बड़े प्रांत में चुनाव समय पर होने चाहिए और इसके लिए सरकार को पाकिस्तान के निर्वाचन आयोग (ईसीपी) को 21 अरब रुपये देने का निर्देश दिया था।
सरकार ने सुरक्षा और वित्तीय कारणों का हवाला देते हुए इस फैसले को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि देश उग्रवाद का सामना कर रहा है और आर्थिक मंदी के कारण कर्ज चुकाने में चूक सकता है।
निर्वाचन आयोग के लिए धन जारी करने की आखिरी तारीख 17 अप्रैल थी, जिसके समाप्त होने के बाद न्यायाधीशों को खुफिया तंत्र के प्रमुखों द्वारा जानकारी दी गई कि ईसीपी ने धन की अनुपलब्धता पर एक रिपोर्ट दी है।
समाचार पत्र ‘डॉन’ की खबर के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से उसके चार अप्रैल के आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया, जिसमें उसने पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए 14 मई की तारीख तय की थी।
याचिका के जरिए अनुरोध किया गया, जिसके साथ एक रिपोर्ट भी संलग्न थी। उसे शीर्ष अदालत के समक्ष लाया गया, जिसने स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) और अन्य विभागों को चुनाव कराने के लिए ईसीपी को 21 अरब रुपये जारी करने का निर्देश दिया था।
पाकिस्तान की राजनीति में प्रांतीय चुनाव का काफी महत्व है क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान पंजाब और खैबर पख्तूनख्वा प्रांतों में मध्यावधि चुनाव कराने पर जोर दे रहे हैं।
तीन सदस्यीय पीठ के इन रिपोर्ट पर बुधवार को अपने कक्ष में विचार करने और बुधवार या बृहस्पतिवार को इस पर सुनवाई करने की संभावना है।
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)