नयी दिल्ली, 16 दिसंबर अरूणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी अतिक्रमण सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण शुक्रवार को राज्यसभा की कार्यवाही शून्यकाल के दौरान दोपहर 11 बजकर 36 मिनट पर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई।
सुबह जैसे ही सदन की कार्यवाही आरंभ हुई उपसभापति हरिवंश ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए।
इसके बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उन्हें एक स्पष्टीकरण देना जरूरी है क्योंकि पिछले दिनों वह चीनी अतिक्रमण का मुद्दा उठाना चाह रहे थे और उच्च सदन के कई सदस्य भी इस पर चर्चा चाहते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी सेना बहादुरी के साथ स्थिति का मुकाबला कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह बेहद गंभीर मुद्दा है और पूरे देश व दुनिया की निगाहें इस पर लगी है।’’
खरगे ने कहा कि विपक्ष का नेता होने के नाते इस मुद्दे पर सांसदों की भावनाओं के साथ खड़ा होना और तत्काल कदम उठाने की मांग करना, उनकी जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसी कारण 14 दिसंबर 2022 को मैंने सदन में इस मसले पर हस्तक्षेप किया। आसन पर उपसभापति थे। आपने कहा कि मैं इस मामले को इसलिए नहीं उठा सकता क्योंकि इस बारे में मैंने कोई नोटिस नहीं दिया है। मीडिया के एक हिस्से में यह बात इस तरह पेश की गयी कि जैसे मुझे नोटिस ना देने के कारण टोका गया। यह हकीकत से दूर है। इससे मुझे तकलीफ भी पहुंची है।’’
विपक्ष के नेता ने नौ दिसंबर 2022 को सभापति (जगदीप धनखड़) की ओर से की गई एक टिप्पणी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने कहा था कि यदि सदन के नेता, विपक्ष के नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं एच डी देवेगौड़ा बोलने के लिए खड़े होते हैं तो वह नियम पुस्तिका नहीं देखेंगे।
खरगे ने कहा, ‘‘मैंने सभापति की इस बात को एक वायदे के रूप में ग्रहण किया। और महसूस किया कि ये पूरे सदन के लिए निर्देश है। इसलिए मैंने इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहा था। लेकिन मुझे अनुमति नहीं मिली।’’
उन्होंने उपसभापति से पूछा कि सभापति ने जो कहा था, उसके अनुरूप उन्हें उस दिन क्यों नहीं बोलने दिया गया?
उन्होंने कहा, ‘‘यह तो देश से जुड़ा हुआ मामला है। देश की रक्षा के लिए और सारे सदन के सदस्यों की भावना को देखते हुए मैं खड़ा हुआ था...इसलिए आप खेद व्यक्त करिए या फिर हमें बताइए कि आपके पास कोई शक्ति नहीं हैं?’’
इस पर उपसभापति हरिवंश ने कहा कि विपक्ष के नेता का सम्मान करते हुए उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे को देखकर वह उस पर बाद में प्रतिक्रिया देंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक नोटिस की बात है मैंने विपक्ष के नेता को उस नोटिस को पूरा पढ़ने का मौका दिया, जो स्वीकृत नहीं थी... आप जब भी खड़े हुए आपको मौका दिया है। आपके प्रति पूरा सम्मान है।’’
इसी बीच, उपसभापति ने कहा कि उन्हें नियम 267 के तहत कांग्रेस के रणदीप सिंह सुरजेवाला, जेबी मेथर, सैयद नासिर हुसैन, प्रमोद तिवारी, एल हुनमंथैया, रंजीत रंजन, कुमार केतकर और आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा के नोटिस मिले हैं।
उन्होंने बताया कि ये नोटिस वास्तविक नियंत्रण रेखा पर मौजूदा स्थिति, सीबीआई और अन्य राजनीति विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग और बढ़ती बेरोजगारी से संबंधित हैं।
उपसभापति ने सभी नोटिस अस्वीकार करते हुए शून्य काल आरंभ कर दिया।
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरु कर दिया।
हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दे उठाए।
हंगामा उस समय और बढ़ गया जब तृणमूल कांग्रेस के सदस्य नदीमुल हक द्वारा डिजिटल लैंडिंग एप का मुद्दा उठाया गया और उस पर जवाब देने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण खड़ी हो गई।
सीतारमण ने कहा कि चीनी एप के मुद्दे पर भारतीय रिजर्व बैंक कार्रवाई कर रहा है। उन्होंने बताया कि अन्य संबंधित मंत्रालय भी मिलकर इस पर काम कर रहे हैं ताकि आम आदमी के साथ धोखाधड़ी ना हो।
इस पर कांग्रेस के सुरजेवाला ने कहा कि चीनी एप पर चर्चा करने का समय है लेकिन चीनी अतिक्रमण जैसे संवेदनशील मुद्दे पर नहीं।
इस पर सीतारमण ने कहा कि इस प्रकार के सवाल उठाकर कांग्रेस क्या साबित करना चाहती है कि आम आमदी की परेशानी उनके लिए कोई परेशानी नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह आम आदमी की समस्या है, जिस पर हमने कार्रवाई की है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी छोटे से छोटे व्यक्ति को लेकर चिंतित है कि कहीं उनके साथ धोखाधड़ी ना हो। कांग्रेस ने आम आदमी की चिंताओं के साथ धोखा किया है।’’
इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने आसन से आग्रह किया कि वह विपक्ष के नेता को इस पर बोलने का मौका दें।
उपसभापति ने कहा कि वह सुबह ही विपक्ष के नेता को मौका दे चुके हैं और सदन की कार्यवाही सूचिबद्ध कामकाज के हिसाब और नियमों से चलती है।
इस पर, खरगे ने कहा कि विपक्ष के सदस्य जब भी चर्चा की मांग करते हैं तो आप खारिज कर देते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘इससे होता क्या है कि उनकी बात चली जाती है और हमारी बात सामने नहीं आती। आप हमें बोलने का मौका नहीं नहीं देते।’’
नियमों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि चीनी अतिक्रमण का मुद्दा बेहद महत्वपूर्ण है और इस पर बोलने का मौका दिया जाए।
हालांकि उपसभापति ने उनके सुझाव को खारिज कर दिया।
इसके बाद विपक्षी सदस्य आसन के निकट आ गए और सदन में हंगामा करने लगे।
उपसभापति ने सदस्यों से बार-बार आग्रह किया कि वे शून्यकाल चलने दें लेकिन विपक्षी सदस्य अपनी मांग पर अड़े रहे।
हंगामे के बीच ही कुछ सदस्यों ने अपने मुद्दे उठाए।
हंगामा ना थमता देख, हरिवंश ने 11 बजकर 36 मिनट पर सदन की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी।
ज्ञात हो कि बृहस्पतिवार को भी इन मुद्दों पर हंगामे की वजह से उच्च सदन में शून्यकाल बाधित हुआ था।
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