देश की खबरें | कर्नाटक के मुख्यमंत्री बोम्मई के कार्यकाल का एक साल: भाजपा की नजर सत्ता बरकरार रखने पर

Get Latest हिन्दी समाचार, Breaking News on India at LatestLY हिन्दी. कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार का बृहस्पतिवार को एक साल पूरा होने वाला है और राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नजर सत्ता को बरकरार रखने पर है।

बेंगलुरु, 27 जुलाई कर्नाटक में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई की सरकार का बृहस्पतिवार को एक साल पूरा होने वाला है और राज्य में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले अब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की नजर सत्ता को बरकरार रखने पर है।

बोम्मई अगले साल मई से पहले होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी का नेतृत्व करना चाहते हैं। वह राज्य में दशकों से चली आ रही इस धारणा को भी तोड़ना चाहेंगे कि राज्य में कोई भी पार्टी सरकार को बरकरार नहीं रख पाती है।

राज्य में 1985 से अब तक कोई भी पार्टी पांच साल बाद सत्ता में दोबारा नहीं लौटी है।

बोम्मई के पास अपनी सरकार के कार्यों और विकास गतिविधियों के जरिये मतदाताओं को लुभाने के लिए अब केवल आठ से नौ महीने बचे हैं।

अपनी सरकार की उपलब्धियों को उजागर करने और अपने विकास के एजेंडे को सामने रखने के लिए, सत्तारूढ़ भाजपा यहां से लगभग 40 किलोमीटर दूर दोडबल्लापुर में 28 जुलाई को एक रैली करेगी।

बोम्मई ने ठीक एक साल पहले 28 जुलाई के दिन ही भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं अपने ‘‘राजनीतिक गुरु’’ बी. एस. येदियुरप्पा से सत्ता संभाली थी।

‘जनोत्सव’ नामक इस कार्यक्रम में राज्य सरकार की योजनाओं के लाखों लाभार्थियों के जुटने की संभावना है। इस कार्यक्रम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा के भी शामिल होने की संभावना है और इसका उद्देश्य विकास का संदेश देना है।

पार्टी ने अगले साल होने वाले चुनाव में 150 सीट जीतने का लक्ष्य रखा है।

पार्टी सूत्रों के अनुसार, राज्य में चुनाव से पहले विकास के एजेंडे को पेश करना पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि विभाजनकारी मुद्दों के भड़कने के बीच सांप्रदायिक विमर्श ने आंशिक रूप से इसके कार्यों को प्रभावित किया है।

बोम्मई ने हाल में कहा था कि कर्नाटक में भाजपा सकारात्मक राजनीति और सुशासन पर अपने रिपोर्ट कार्ड के साथ 2023 के विधानसभा चुनाव में लोगों के सामने जाएगी।

बोम्मई सरकार के पिछले एक साल के कार्यकाल के दौरान धर्मांतरण विरोधी कानून से जुड़े सांप्रदायिक मुद्दे, हिजाब और हलाल विवाद, मंदिर मेलों के दौरान मुस्लिम व्यापारियों पर प्रतिबंध और धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर विवाद संबंधी मुद्दे छाये रहे।

पार्टी के एक पदाधिकारी के अनुसार, सांप्रदायिक मुद्दों ने इस सरकार के विकास कार्यों को प्रभावित है, और इसे सामने लाने और लोगों को ‘‘हमारे बेहतर कार्यों’’ के बारे में बताने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि किसानों, बुनकरों और मछुआरों के बच्चों के लिए छात्रवृत्ति कार्यक्रम, अमृत योजनाओं और यशस्विनी योजना को फिर से शुरू करने जैसे कदमों और कल्याणकारी योजनाओं के बारे में आम जनता को जानकारी देने की जरूरत है।

भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर बोम्मई सरकार को रक्षात्मक रुख अपनाना पड़ा है। राज्य ठेकेदार संघ ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर मंत्रियों और विधायकों को 40 फीसदी कमीशन देने की शिकायत की थी। इसके बाद ठेकेदार संतोष पाटिल की आत्महत्या के तूल पकड़ने पर भाजपा के वरिष्ठ नेता के. एस. ईश्वरप्पा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

इसके अलावा बिटकॉइन घोटाले के आरोप, पीएसआई भर्ती घोटाला, जिसमें एजीडीपी रैंक के अधिकारी को गिरफ्तार किया गया था, ने सरकार को कटघरे में खड़ा किया।

हालांकि पिछले सितंबर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की इस घोषणा के बाद कि पार्टी बोम्मई के नेतृत्व में अगले चुनाव का सामना करेगी, कि मुख्यमंत्री बिना किसी विद्रोह के अपनी स्थिति को बनाए रखने में सक्षम रहे हैं।

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