किसी को ऐसे मामले में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे लोग आहत हों: मुख्यमंत्री ममता बनर्जी
Mamata Banerjee Photo Credits: Twitter

कोलकाता, चार सितंबर द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता उदयनिधि स्टालिन के ‘सनातन धर्म’ के खिलाफ बयान को लेकर बढ़ते विवाद के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि किसी को भी ऐसे मामले में शामिल नहीं होना चाहिए, जिससे लोगों को ठेस पहुंच सकती हो. बनर्जी ने यहां ‘पीटीआई-वीडियो’ से कहा कि हर धर्म से अलग-अलग भावनाएं जुड़ी होती हैं और भारत अनेकता में एकता का देश है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं तमिलनाडु और दक्षिण भारत के लोगों का बहुत सम्मान करती हूं, लेकिन मेरा विनम्र अनुरोध है कि सभी का सम्मान करें, क्योंकि हर धर्म की अलग-अलग भावनाएं होती हैं। भारत एक धर्मनिरपेक्ष एवं लोकतांत्रिक देश है. भारत अनेकता में एकता का देश है.’’

बनर्जी ने स्टालिन की टिप्पणी के बारे में कहा, ‘‘उन्हें उतना अनुभव नहीं है और उन्हें इस बारे में संभवत: पता नहीं होगा.’’ उन्होंने कहा, ‘‘मुझे यह नहीं पता कि उन्होंने ये टिप्पणियां क्यों और किस आधार पर कीं. मुझे लगता है कि हर धर्म का समान रूप से सम्मान किया जाना चाहिए... मैं सनातन धर्म का सम्मान करती हूं.’’ बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार पुजारियों को पेंशन देती है. उन्होंने कहा, ‘‘हमारे देश में कई मंदिर हैं। हम मंदिरों, मस्जिदों और गिरजाघरों में जाते हैं। हमें ऐसे किसी भी मामले में शामिल नहीं होना चाहिए जिससे किसी वर्ग के लोगों को ठेस पहुंचे.’’

तमिलनाडु के युवा कल्याण मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने शनिवार को यह टिप्पणी कर विवाद पैदा कर दिया कि ‘सनातन धर्म’ समानता एवं सामाजिक न्याय के विरुद्ध है और इसका उन्मूलन करने की जरूरत है. तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने ‘सनातन धर्म’ की तुलना कोरोना वायरस, मलेरिया और डेंगू से करते हुए कहा था कि ऐसी चीजों का विरोध नहीं करना चाहिए बल्कि इनका विनाश कर देना चाहिए.

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