बेंगलुरु, तीन जून कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सोमवार को कहा कि उन्होंने मंत्री बी. नागेंद्र का इस्तीफा नहीं मांगा है तथा इस संबंध में विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर कोई फैसला किया जाएगा।
नागेंद्र एक सरकारी निगम से अवैध तरीके से धन स्थानांतरण के आरोपों का सामना कर रहे हैं ।
सिद्धरमैया ने विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर भी सवाल उठाते हुए पूछा कि अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री नागेंद्र को पद से हटाने के लिए सरकार की समय सीमा तय करने वाले वे कौन होते हैं। भाजपा ने सरकार को छह जून तक नागेंद्र का इस्तीफा लेने और ऐसा न करने पर राज्यभर में प्रदर्शन करने की धमकी दी है।
भाजपा ने कर्नाटक महर्षि वाल्मीकि अनुसूचित जनजाति विकास निगम लिमिटेड से जुड़े कथित अवैध धन हस्तांतरण मामले की सीबीआई जांच और नागेंद्र को मंत्री पद से तत्काल बर्खास्त करने की मांग की है।
मुख्यमंत्री ने एक सवाल के जवाब में पत्रकारों से कहा, “ मैंने (नागेंद्र का) इस्तीफा नहीं मांगा है... एसआईटी की रिपोर्ट अभी नहीं आई है, इसे कुछ दिन पहले ही गठित किया गया है। देखते हैं कि वे अपनी रिपोर्ट में क्या देते हैं। जब वे अपनी रिपोर्ट दे देंगे तो हम निर्णय लेंगे।”
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने नागेंद्र से कोई स्पष्टीकरण मांगा है, उन्होंने कहा, "मैंने अभी तक नहीं पूछा है। मुझे प्रारंभिक रिपोर्ट देखनी होगी। रिपोर्ट देखने के बाद हम निर्णय लेंगे।"
सिद्धरमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के शिवकुमार ने शनिवार को कहा कि सरकार इस मामले में किसी को नहीं बचाएगी और चाहे कोई भी शामिल हो, कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
अवैध धन हस्तांतरण का कथित मामला तब प्रकाश में आया जब निगम के लेखा अधीक्षक चंद्रशेखर पी. ने 26 मई को आत्महत्या कर ली। उन्होंने खुदकुशी करने से पहले एक पत्र लिखा था। पत्र में उन्होंने अवैध धन हस्तांतरण का जिक्र करते हुए कुछलोगों के नाम लिखे थे और कहा था कि ‘मंत्री’ ने धन हस्तांरण के लिए मौखिक आदेश दिए थे।
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