जरुरी जानकारी | सरसों छोड़कर बीते सप्ताह बाकी तेल तिलहन कीमतों में सुधार

नयी दिल्ली, 21 फरवरी आगामी त्यौहारी मांग और बाजार में कारोबारी गतिविधियों के बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में खाद्य तेल कीमतों में सुधार दर्ज हुआ। मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने के बीच सरसों तेल तिलहन कीमतों में गिरावट को छोड़कर सभी तेल तिलहन कीमतें लाभ दर्शाती बंद हुई।

बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि मंडियों में पुराने सरसों की मांग है और व्यापारियों एवं तेल मिलों के पास इसका कोई स्टॉक नहीं बचा है। पिछले साल का भी कोई स्टॉक शेष नहीं है और पाइपलाईन खाली है। मंडियों में सरसों की नई फसल की आवक बढ़ रही है, लेकिन इसमें अभी हरापन है। सरसों की नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले साधारण हानि दर्शाते बंद हुए।

उन्होंने कहा कि होली और नवरात्र जैसे त्यौहारों की वजह से हलवाइयों और कारोबारियों की मांग बढ़ने से विशेषकर पामोलीन और सोयाबीन रिफाइंड तेलों में पर्याप्त सुधार आया है। इसके अलावा सूरजमुखी तेल का भाव वैश्विक स्तर पर अपने रिकॉर्ड ऊंचाई को छू गया है, जिससे बाकी तेलों के भाव में भी तेजी आई है।

सूरजमुखी तेल जो 6-8 महीने पहले 950 डॉलर प्रति टन था, वह मौजूदा समय में बढ़कर 1,455 डॉलर प्रति टन हो गया है। पहले इसकी कीमत सोयाबीन के आसपास थी, लेकिन अभी यह सोयाबीन रिफाइंड के मुकाबले लगभग 325 डॉलर अधिक हो गया है। सूरजमुखी तेल की इस रिकॉर्ड तेजी की वजह से पामोलीन और सोयाबीन रिफाइंड की मांग काफी बढ़ गई है, जिससे इन तेलों सहित बाकी तेलों के भाव में भी तेजी आई।

सूत्रों ने कहा कि निर्यात मांग के अलावा स्थानीय मांग होने के कारण मूंगफली तेल तिलहन कीमतों में भी पर्याप्त सुधार आया।

उन्होंने कहा कि बाजार में सोयाबीन के बेहतर दाने का स्टॉक नहीं के बराबर है क्योंकि किसान इसे पहले ही मंडियों में बेच चुके हैं। अगली फसल के लिए सोयाबीन बीज की भारी कमी है तथा बीज के लिए महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में किसान सोयाबीन के बेहतर दाने की खरीद 5,400-5,500 रुपये प्रति क्विंटल के भाव कर रहे हैं। सोयाबीन की नई फसल के बाजार में आने में अभी करीब आठ महीने का वक्त है।

इसके अलावा मुर्गी दाने के लिए डीओसी (तेल रहित खल) की भारी निर्यात मांग है और निर्यात के आर्डर पूरा करने में मुश्किल आ रही है क्योंकि मंडियों में ज्यादातर फसल बारिश की वजह से दागी (खराब) हैं, जिनका निर्यात नहीं होता। इसके अलावा सोयाबीन की बड़ियां बनाने वाली कंपनियों की भी मांग ज्यादा है। इस परिस्थिति में सोयाबीन तेल तिलहन कीमतों के भाव समीक्षाधीन सप्ताहांत में लाभ दर्शाते बंद हुए।

सूत्रों ने बताया कि मिठाई निर्माताओं और नमकीन बनाने वाली कंपनियों की भारी त्यौहारी मांग से सीपीओ, विशेष तौर पर पामोलीन तेल की मांग काफी बढ़ी है, जिस कारण सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में सुधार दिखा।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन दाना और लूज के भाव पिछले सप्ताहांत के मुकाबले क्रमश: 190 रुपये और 155 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 5,110-5,140 रुपये और 4,950-5,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और डीगम तेल के भाव क्रमश: 230 रुपये, 380 रुपये और 280 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 12,550 रुपये, 12,250 रुपये और 11,250 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए।

मंडियों में नयी फसल की आवक बढ़ने के बीच गत सप्ताहांत सरसों दाना 80 रुपये की हानि के साथ 6,395-6,445 रुपये क्विन्टल और सरसों दादरी तेल 100 रुपये घटकर 13,300 रुपये क्विन्टल तथा सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल की कीमतें 20-20 रुपये की हानि के साथ क्रमश: 1,995-2,145 रुपये और 2,125-2,240 रुपये प्रति टिन पर बंद हुईं।

दूसरी ओर निर्यात गतिविधियों में आई तेजी के बीच मूंगफली दाना सप्ताहांत में 60 रुपये के सुधार के साथ 5,760-5,825 रुपये क्विन्टल और मूंगफली गुजरात तेल 50 रुपये के सुधार के साथ 14,400 रुपये क्विन्टल पर बंद हुआ। मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड की कीमत भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 15 रुपये सुधरकर 2,295-2,355 रुपये प्रति टिन बंद हुई।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में कच्चे पाम तेल (सीपीओ) का भाव 250 रुपये सुधरकर 10,450 रुपये पर बंद हुआ। रिफाइंड पामोलिन दिल्ली और कांडला (बिना जीएसटी) के भाव क्रमश: 400 रुपये और 350 रुपये सुधरकर क्रमश: 12,250 रुपये और 11,300 रुपये प्रति क्विंटल हो गये।

समीक्षाधीन सप्ताहांत में बिनौला तेल भी 500 रुपये (बिना जीएसटी के) का सुधार दर्शाता 11,300 रुपये क्विंटल हो गया।

(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)