नैनीताल, पांच जनवरी उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश में हाथियों के लिए एकमात्र अभयारण्य—शिवालिक हाथी अभयारण्य की अधिसूचना को निरस्त किए जाने के निर्णय को लेकर केंद्र, राज्य सरकार और राज्य वन्यजीव बोर्ड को नोटिस जारी किया है।
उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमथ और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने सोमवार को ये नोटिस जारी करते हुए प्रतिवादियों को अपना जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है ।
करीब 80 पर्यावरणविदों ने उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर दावा किया था कि उत्तराखंड राज्य वन्यजीव बोर्ड ने जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार के लिए 24 नवंबर, 2020 को शिवालिक हाथी अभयारण्य की अधिसूचना निरस्त करने का फैसला लिया ।
इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर लेते हुए उच्च न्यायालय में सुनवाई की गयी ।
उत्तराखंड के कुमांउ और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में 5400 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले शिवालिक हाथी अभयारण्य को 2002 में एक सरकारी आदेश के जरिए अधिसूचित किया गया था ।
वन विभाग के सूत्रों का कहना है कि शिवालिक हाथी अभयारण्य की अधिसूचना रद्द करने से जौलीग्रांट हवाई अड्डे के विस्तार सहित क्षेत्र में विकास गतिविधियों में बढ़ोत्तरी का रास्ता खुल जाएगा।
उन्होंने बताया कि इससे प्रदेश भर में करीब एक दर्जन वन प्रभागों में विकास कार्यों के लिए जमीन अधिग्रहण में सहूलियत हो जाएगी ।
सं दीप्ति प्रशांत
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