देश की खबरें | उत्तर पश्चिम भारत में लगातार दूसरे दिन भीषण गर्मी पड़ी

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नयी दिल्ली, 18 मई उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों में शनिवार को लगातार दूसरे दिन भीषण गर्मी पड़ी और विभिन्न स्थानों पर तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा।

मध्य प्रदेश और गुजरात के कुछ हिस्सों में भी लू चली।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार, उत्तर पश्चिम भारत में भीषण गर्मी अगले पांच दिनों तक जारी रहेगी, जिसका सबसे अधिक प्रभाव दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश पर पड़ने का अनुमान है।

मौसम कार्यालय ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और पश्चिम राजस्थान के लिए “रेड” अलर्ट जारी किया है, जिसमें स्वास्थ्य के लिहाज से “संवेदनशील लोगों के लिए अत्यधिक देखभाल” की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।

आईएमडी ने पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार के लिए ‘ऑरेंज अलर्ट’ जारी कर शिशुओं, बुजुर्गों व पुरानी बीमारियों से ग्रस्त लोगों समेत संवेदनशील लोगों की "उच्च स्वास्थ्य देखभाल" पर जोर दिया।

दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश में कम से कम 20 स्थानों पर अधिकतम तापमान 45 डिग्री सेल्सियस या उससे अधिक दर्ज किया गया।

दिल्ली में मुंगेशपुर में अधिकतम तापमान 46.8 डिग्री सेल्सियस, नजफगढ़ में 46.7 डिग्री सेल्सियस, पीतमपुरा में 46.1 डिग्री सेल्सियस और पूसा में 46 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राजस्थान में चार स्थानों पर तापमान 46 डिग्री सेल्सियस से ऊपर चला गया। जैसलमेर में 46.2) बाड़मेर में 46.9, गंगानगर में 46.3 और पिलानी में 46.3 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया।

मौसम कार्यालय ने कहा कि अगले कुछ दिन में गोवा और पश्चिम बंगाल के उप-हिमालयी क्षेत्र में उच्च आर्द्रता लोगों की परेशानी बढ़ा सकती है।

रात का उच्च तापमान खतरनाक माना जाता है, क्योंकि इससे शरीर को ठंडा होने का मौका नहीं मिलता।

भारत में आम चुनावों के मद्देनजर विशेषज्ञों ने लंबे समय तक धूप में रहने वाले या भारी काम करने वाले लोगों में गर्मी से संबंधित बीमारियां बढ़ने की चेतावनी दी है।

अमेरिका स्थित जलवायु वैज्ञानिकों के एक समूह 'क्लाइमेट सेंट्रल' ने कहा कि भारत में 54 करोड़ 30 लाख लोगों को 18-21 मई के दौरान कम से कम एक दिन अत्यधिक गर्मी महसूस होगी।

क्लाइमेट सेंट्रल में विज्ञान विभाग के उपाध्यक्ष एंड्रयू पर्सिंग ने कहा, “मानव-जनित जलवायु परिवर्तन ने इस भीषण गर्मी को और अधिक विकराल बना दिया है। रात का उच्च तापमान जलवायु परिवर्तन को विशेष रूप से खतरनाक बना देता है।”

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